कोटा में JEE की तैयारी कर रहे छात्र की आत्महत्या की खबर ने पिता को बेहोश कर दिया। यह अप्रत्याशित और दुखद घटना है जो एक बार फिर से कोटा शहर के कोचिंग इंस्टीट्यूट की आबादी के मनोबल को झटका देने वाली है। यह नहीं पहली बार है जब ऐसी खबरें सामने आई हैं, बल्कि पिछले कुछ सालों से यह समस्या कोटा में गंभीरता से बढ़ रही है।
कोटा जैसे शहर ने ‘शिक्षा नगरी’ के रूप में अपनी पहचान बनाई है, लेकिन आत्महत्या के मामलों में यह शहर अब ‘कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड’ के लिए भी प्रसिद्ध हो गया है। पिछले कुछ सालों में, यहां पढ़ने आने वाले छात्र लगातार आत्महत्या कर रहे हैं, और इस संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है।
यह आत्महत्या के मामले समाज के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालते हैं, खासकर परिवार के लिए जो इस अत्यंत दुखद घटना का सामना करना पड़ता है। पिता जो अपने बेटे के शव को देखकर बेहोश हो गए, उनका यह हाल दर्शाता है कि यह समस्या कितनी गंभीर है।
छात्र के आत्महत्या नोट में उसने लिखा था, “पापा, मेरे से जेईई नहीं हो पाएगा। क्षमा करिएगा, मैं जा रहा हूं।” यह शब्द उसके आत्महत्या नोट में उठाए गए थे, जो उसके दुखद निर्णय की प्रक्रिया को साझा करते हैं।
कोटा में इस साल तक पांचवां ऐसा मामला है, जो दरअसल एक सामान्य बात नहीं है। पिछले साल, 2023 में, कोटा में 26 छात्रों ने आत्महत्या की थी। यह आंकड़ा और भी चिंताजनक है, क्योंकि यह छात्रों के जीवन की सारी संभावनाओं को खत्म कर देता है और उनके परिवारों को अभीत: कर देता है।
कोटा में इस समस्या के समाधान के लिए उपयुक्त कदम उठाने की आवश्यकता है। छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य को संरक्षित रखने के लिए और उन्हें दबाव से निपटने की क्षमता प्रदान करने के लिए संवेदनशीलता का माहौल बनाया जाना चाहिए। शिक्षकों, अभिभावकों, और समाज के हर व्यक्ति को छात्रों के साथ संवाद में रहना और उनके समस्याओं को समझने की जरूरत है।
साथ ही, कोचिंग इंस्टीट्यूटों को भी छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए उन्हें उपयुक्त साथ साथ विधाओं का पालन करने की आवश्यकता है।
अंत में, समाज को इस समस्या के सामने स्थिर रहकर इसे हल करने के लिए सामूहिक प्रयासों में शामिल होने की जरूरत है। छात्रों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करने के साथ-साथ, उनके मानसिक और भावनात्मक स्थिति का भी ध्यान रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।