भारत मे होती है बिल्लियों की पूजा:- ये दुनिया भी कितनी रहस्यमय है, इस बात को हम सभी अच्छी तरह से जानते है। हर किसी की चाहत होती है। कि वो अपने जीवनकाल में सभी तरह की अलग अलग चीजों के बारे में जान ले और उन्हें अपनी आंखों से देखकर विश्वास कर ले। लेकिन अफसोस कि दुनिया इतनी बड़ी है कि कोई भी इंसान अपने जीवन में पूरी दुनिया तो देख ही नहीं सकता है। ऐसे में आज हम आपको इस रहस्यमय दुनिया से जुड़े एक रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे, जिनके बारे में जानकर आप चौक जाएंगे। दरअसल, आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने वाले है जहां लगभग 1000 साल से बिल्लियों की पूजा हो रही है। लेकिन हमें जितना पता है कि लोग पेड़ पौधों से लेकर पहाड़ नदियां और हर चीज की पूजा करती है जो इंसान के जीवन से जुड़ा होता है।
भारत मे क्यों होती है जानवरों की पूजा करने की परंपरा
यहां लोग अपने ईश्वर के साथ-साथ उनकी सवारी की भी पूजा करते हैं। जैसे भगवान गणेश की सवारी है चूहा तो कई जगह चूहे की पूजा होती है। उसी तरह से मां दुर्गा की सवारी है शेर तो इसलिए शेर की भी मूर्ति मंदिरों में लगी होती है। लेकिन बिल्ली तो किसी भगवान की सवारी नहीं है, फिर हमारे भारत देश में एक जगह इसकी पूजा क्यों होती है, जबकि किस्सों कहानियों में तो बिल्ली को हमेशा अशुभ ही माना गया है। हालांकि, कई लोग ऐसे भी हैं जो बिल्लियों को पालते हैं और उनका मानना है कि यह सब अंधविश्वास है उससे ज्यादा कुछ नहीं। तो चलिए जानते हैं कहां हो रही है बिल्लियों की पूजा। यह जगह कर्नाटक के मांड्या जिले में है। यहां एक गांव है जिसे बेक्कालेले कहा जाता है। इस गांव में लोग पिछले 1000 साल से बिल्लियों की पूजा करते रहे हैं। यहां रहने वाले लोगों की आस्था है कि बिल्ली देवी का अवतार है, इसलिए यहां पूरे विधि विधान से उनकी पूजा होती है। दरअसल, इस गांव के लोग बिल्लियों को देवी मंगम्मा का रूप मानते हैं। और उस गांव में 1000 सालों से इसके नाम से एक मंदिर स्थापित है।
इस वजह से होती है कर्नाटक के इस गाँव मे बिल्लियों की पूजा
जहां लोग अपनी सच्ची श्रद्धा भावना से बिल्लियों की पूजा अर्चना करते है। ऐसा कहा जाता है कि जब गांव में बुरे आतंक फैला था। तो माता देवी मंगम्मा ने बिल्ली का रूप धारण किया और गांव के अंदर से बुरी ताकतों को मार भगाया। बाद में जब देवी मंगम्मा अचानक से इस गांव से गायब हो गईं तो उन्होंने यहां एक जगह पर निशान छोड़ा। उसी जगह बाद में उनका मंदिर बनाया गया और उसके बाद से ही लोग यहां बिल्लियों की पूजा करते हैं। इसी वजह से गांव में जब भी कोई बिल्ली का मृत्यु हो जाता है, तो उसे पुरे सम्मान के साथ दफनाया जाता है। एक वजह यह भी है कि अगर गांव में कोई भी बिल्लियों को नुकसान पंहुचाता है तो उसे गांव से ही निकाल दिया जाता है।