छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के मामले के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एनडीए को घिराया गया है, और इसके साथ ही ईडी को भी भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया गया है। यह मामला राजनीतिक होने के साथ-साथ आर्थिक और कानूनी मामला भी है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के द्वारा दर्ज धन शोधन के मामले को रद्द कर दिया है। इसका मतलब है कि सुप्रीम कोर्ट को यह मान्यता नहीं है कि कथित घोटाले में कोई भ्रष्टाचार हुआ है। इस फैसले के बाद विपक्षी दलों ने ईडी के खिलाफ आरोप लगाए हैं कि ईडी भाजपा के इशारे पर काम कर रही है और विपक्षी दलों को बदनाम करने की साजिश रच रही है।
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी ईडी के खिलाफ आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि ईडी की कार्रवाई साजिश का परिणाम है और वह भाजपा के इशारे पर काम कर रही है। वह भी दावा कर रहे हैं कि भाजपा की केंद्रीय सरकार ने विपक्षी दलों को बदनाम करने के लिए ईडी को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए प्रेरित किया।
इस मामले में ईडी ने पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और उनके पुत्र यश के खिलाफ दर्ज धन शोधन का मामला रद्द कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अपराध से कोई संपत्ति अर्जित नहीं की गई। इससे स्पष्ट है कि सुप्रीम कोर्ट को भी यह मान्यता नहीं है कि कोई भ्रष्टाचार हुआ है।
छत्तीसगढ़ में यह मामला न केवल राजनीतिक है, बल्कि इससे सामाजिक और आर्थिक पहलू भी हैं। यहां एक बड़ा घोटाला का आरोप था, जिसमें करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार होने का आरोप था। लेकिन अब इस मामले में कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया है।
यह मामला भाजपा के लिए भी कठिनाई का सामना कर रहा है। वह ईडी को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए आरोपित किया जा रहा है। विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि ईडी भाजपा के इशारे पर ही काम कर रही है और विपक्षी दलों को बदनाम करने की साजिश रच रही है।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साबित होता है कि ईडी की कार्रवाई गलत थी और यह साजिश का हिस्सा थी। इससे सामाजिक न्याय और आधिकारिकता की हानि हुई है। लोगों के मन में विश्वास की कमी हो रही है और राजनीतिक दलों के बीच भरोसा कम हो रहा है।
इस मामले के बारे में जल्द ही और जानकारी मिलेगी, लेकिन इससे स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ में राजनीतिक और कानूनी हलचल मची है और इसका असर समाज पर हो रहा है।