संसद का बजट सत्र हमेशा से ही विवादों और तीखी बहसों का केंद्र रहा है। इस बार भी बजट पेश होने के बाद से विपक्षी दलों ने सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है। राज्यसभा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पर तीखा हमला किया, जिसमें उन्होंने दो राज्यों, बिहार और आंध्र प्रदेश को विशेष सुविधाओं का जिक्र करते हुए कहा कि बाकी राज्यों को कुछ नहीं मिला।
दो राज्यों की थाली में पकौड़ा और जलेबी
मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने बयान में तंज कसते हुए कहा कि इस बार के बजट में किसी भी राज्य को कुछ नहीं मिला, सिर्फ दो राज्यों, बिहार और आंध्र प्रदेश की थाली में पकौड़ा और जलेबी ही मिला है। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, छत्तीसगढ़, दिल्ली और ओडिशा जैसे राज्यों को कुछ नहीं मिला। उनका आरोप था कि यह सब कुछ सरकार द्वारा अपने घटक दलों, जेडीयू और टीडीपी, को खुश करने के लिए किया गया है।
कर्नाटक को उम्मीदें टूटीं
खरगे ने वित्त मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वह कर्नाटक से राज्यसभा में आई हैं, इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि कर्नाटक को विशेष रूप से अधिक मिलेगा। लेकिन, उनकी उम्मीदें टूटीं और कर्नाटक को भी कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस भेदभाव के खिलाफ प्रोटेस्ट करेगा और कन्याकुमारी से कश्मीर तक विरोध प्रदर्शन करेगा।
विपक्षी दलों का प्रदर्शन
इससे पहले, विपक्षी दलों ने संसद परिसर में बजट के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और कई अन्य विपक्षी दलों के सांसद शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और बजट को जनविरोधी बताया।
नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार
कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने इस मुद्दे पर कहा था कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस सरकार का संवैधानिक सिद्धांतों के प्रति रवैया पूरी तरह से ‘अनैतिक’ है। इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने भी नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने की घोषणा की थी।
वित्त मंत्री की प्रतिक्रिया
जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस मुद्दे पर अपनी बात रखने के लिए खड़ी हुईं, तो विपक्षी सदस्य हंगामा करने लगे और कुछ सदस्य अपनी सीट से उठकर चले गए। इस हंगामे के कारण वित्त मंत्री अपनी बात पूरी नहीं कर पाईं।
भविष्य की रणनीति
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि विपक्ष बजट पर चर्चा में भाग लेने के बजाय प्रदर्शन करेगा और इसके बाद स्थिति को देखेगा। खरगे के आवास पर विपक्षी दलों की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि संसद के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
संसद का बजट सत्र इस बार भी भारी हंगामे और विवादों का गवाह बना। विपक्षी दलों ने बजट को लेकर सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया और विरोध प्रदर्शन किए। मल्लिकार्जुन खरगे के तीखे हमलों और विपक्ष के विरोध प्रदर्शनों ने यह साबित किया कि बजट सत्र अभी और गर्मागर्म बहसों का केंद्र बनेगा। नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रह सकते हैं, जिससे सरकार और विपक्ष के बीच तनाव और बढ़ सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष के बीच यह टकराव कैसे सुलझता है और आने वाले दिनों में क्या नई रणनीतियाँ अपनाई जाती हैं।