राजस्थान के जयपुर के रहने वाले आनंद सिंह की कहानी किसी प्रेरणा से कम नहीं है। 2002 में एक दर्दनाक एक्सीडेंट में अपने दोनों पैर गंवाने के बाद भी उनकी हिम्मत और आस्था उन्हें बार-बार अमरनाथ यात्रा पर खींच ले जाती है। 3880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करने का उनका जुनून आज भी बरकरार है। यह उनकी 12वीं यात्रा है, जो उनकी अदम्य इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है।
विकलांगता को चुनौती
आनंद सिंह की यह यात्रा 14 सालों में 12वीं बार है। जब 2002 में उन्होंने अपने दोनों पैर खो दिए थे, तब उनका चलना-फिरना भी मुश्किल हो गया था। मगर उनकी भक्ति और आस्था ने विकलांगता को कभी उनके मार्ग में बाधा नहीं बनने दिया। 2010 में उन्होंने अपनी पहली अमरनाथ यात्रा की थी और तब से हर साल वह इस पवित्र यात्रा पर जाते रहे हैं।
यात्रा की शुरुआत

आनंद सिंह ने बताया कि उन्होंने 2010 में पहली बार बाबा बर्फानी के दर्शन किए थे। उसके बाद से 14 सालों में केवल तीन बार ही वे यात्रा नहीं कर पाए हैं। इनमें 2013 में केदारनाथ में आई बाढ़ और दो साल तक कोरोना महामारी के कारण यात्रा स्थगित होने के साल शामिल हैं। बाकी हर साल, बिना किसी रुकावट के, आनंद सिंह ने अपनी भक्ति को जारी रखा है।
अद्वितीय यात्रा शैली
आनंद सिंह का यात्रा करने का तरीका भी अद्वितीय है। अपने दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद, वे अपने हाथों के सहारे चलते हैं। बैठने के लिए वे ट्रक के टायर के कटे हुए हिस्से का इस्तेमाल करते हैं। पहले चार-पांच सालों तक उन्होंने अपने हाथों से खुद को घसीटते हुए यात्रा पूरी की थी। हालांकि, अब यह उनके लिए मुश्किल हो गया है, इसलिए अब वे पालकी में यात्रा करते हैं।
आलोचनाओं के बावजूद जारी है यात्रा
आनंद सिंह ने बताया कि लोग उनके प्रयासों को अलग-अलग नजरिए से देखते हैं। कुछ लोग उनकी भक्ति और समर्पण की सराहना करते हैं, जबकि कुछ लोग उनकी आलोचना भी करते हैं। बावजूद इसके, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका कहना है, “मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि लोग मेरे बारे में क्या कहते हैं। कुछ लोग मेरे प्रयासों को सकारात्मक रूप से देखते हैं, जबकि कुछ अन्य मेरी आलोचना करते हैं। सभी लोग एक जैसे नहीं होते।”
भगवान शिव के प्रति आस्था
आनंद सिंह का भगवान शिव के प्रति विशेष संबंध है। उन्होंने कहा, “यह बंधन हर साल मजबूत होता जा रहा है। इसलिए मैं यहां आता हूं।” उनकी आस्था और भक्ति का यह बंधन उन्हें हर साल अमरनाथ यात्रा पर खींच ले जाता है। यह यात्रा उनकी आस्था को और भी मजबूत करती है और उन्हें नई ऊर्जा और प्रेरणा देती है।
अमरनाथ यात्रा का महत्व
अमरनाथ यात्रा भारतीय संस्कृति और आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दक्षिण कश्मीर हिमालय के अनंतनाग जिले के पहलगाम क्षेत्र में स्थित बाबा बर्फानी के अमरनाथ गुफा की वार्षिक यात्रा हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस गुफा में एक प्राकृतिक बर्फ शिवलिंग बनता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
150 साल पुरानी खोज
इस गुफा की खोज 150 साल से भी अधिक समय पहले एक मुस्लिम चरवाहे ने की थी। तब से हर साल यह यात्रा आयोजित की जाती है। 52 दिवसीय तीर्थयात्रा इस साल 29 जून से शुरू हुई और 19 अगस्त को समाप्त होगी। इस यात्रा में श्रद्धालु हिमालय के दुर्गम रास्तों को पार कर बाबा बर्फानी के दर्शन करने जाते हैं।
आनंद सिंह की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो किसी न किसी चुनौती का सामना कर रहा है। उनकी अदम्य इच्छाशक्ति, भक्ति और आस्था ने उन्हें हर मुश्किल को पार करने की ताकत दी है। वे साबित करते हैं कि विकलांगता या किसी भी अन्य बाधा को हमें अपने सपनों और आस्थाओं से दूर नहीं कर सकती। उनकी यह 12वीं अमरनाथ यात्रा हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।