22 साल के बाद, अमेरिका में एक मामले में दो लोगों की हत्या करने वाले अमेरिकी शख्स को इंजेक्शन के माध्यम से मौत के दंड का सामना करना पड़ा। इस मामले में हत्या की गई थी, जिसमें एक भारतीय नागरिक भी शामिल था। यह मामला साल 2002 में हुआ था, और अब इस मामले में दोषी को सजा सुनाई गई है। माइकल माइकल ड्वेन स्मिथ नामक यह अमेरिकी नागरिक को इंजेक्शन के माध्यम से मौत की सजा दी गई है।
2002 में हुई हत्या का जिक्र करते हुए, इस मामले में माइकल ड्वेन ने दो व्यक्तियों की हत्या की थी। इसमें एक भारतीय शरद पुल्लुरु और एक और महिला जेनेट मूर शामिल थीं। इस घटना में उन्होंने अलग-अलग तारीखों पर यह हत्या की थी। उन्हें दोषी ठहराते हुए अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी। इस मामले में अटॉर्नी जनरल जेंटनर ड्रमंड ने सजा के बाद एक बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने यह कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस सजा से शरद और मूर के परिवारों को कुछ हद तक शांति मिलेगी।
इस मामले में अटॉर्नी जनरल ने कहा कि माइकल स्मिथ ने जिन दो लोगों की हत्या की थी, वो दोनों ही सभ्य और अच्छे लोग थे। उन्हें अपनी अपनी किस्मत का साथ नहीं मिला। शरद एक प्रतिभावान युवा थे जो अमेरिका गए थे पढ़ाई के लिए, और मूर भी एक समान्य व्यक्ति थी। उनकी हत्या का कारण यह था कि वे गलत समय पर गलत जगह पर थे। अटॉर्नी ने दोनों के परिवारों के लिए शांति की कामना की।
इस मामले में शरद के भाई हरीश पुल्लुरु के बयान के अनुसार, उन्होंने माइकल स्मिथ को माफी देने से इनकार किया। हरीश ने कहा कि उन्हें उस दर्द को देखा है जिसे उनके माता-पिता हर दिन झेलते थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके भाई और मूर उनके परिवार के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे, और उनकी मौत के बाद उनके परिवार को बड़ा झटका लगा है। वे स्मिथ को माफ नहीं कर सकते।
इस मामले से साफ़ होता है कि अमेरिका में न्यायिक प्रक्रिया काफी सकारात्मक है, और दोषी व्यक्तियों को सजा मिलने के बाद उनके परिवारों को थोड़ी राहत मिलती है। इससे समाज में न्याय की भावना बनी रहती है और लोग यह जानते हैं कि अपराधियों को सजा मिलेगी। इस मामले से हमें यह सिखने को मिलता है कि न्याय के माध्यम से विचारशीलता और न्याय की भावना को सुनिश्चित किया जा सकता है।