रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आर्थिक पॉलिसी की नई मौद्रिक नीति को जारी किया है, जिसमें रेपो रेट को पुराने स्तर पर ही कायम रखने का फैसला लिया गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को एमपीसी की छह सदस्यीय बैठक (MPC Meeting) के आधार पर फैसलों के बारे में जानकारी दी।
इसका मतलब है कि रेपो रेट, जिसका उपयोग बैंकों को आरबीआई से ऋण लेने के लिए किया जाता है, पुराने स्तर पर 6.5 प्रतिशत पर कायम रहेगा। यह फैसला महंगाई के हिसाब से कदम उठाने के लिए तैयार है और बैंकों को आरबीआई से महंगे रेट पर ऋण मिलेगा। इस निर्णय के बावजूद, आधे महीने की बजाय, चौथे बार रेपो रेट में किसी भी परिवर्तन का किसी तरह का प्रमुख असर ईएमआई (EMI) पर नहीं होगा। यदि आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं या पहले से ही होम लोन लिया है, तो आपको इस निर्णय से खुशी हो सकती है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि देश में आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, और प्राइवेट सेक्टर के निवेश में वृद्धि दिख रही है।
रेपो रेट का मतलब होता है कि आरबीआई द्वारा बैंकों को दी जाने वाली ऋण की ब्याज दर। इसके बढ़ने से होम लोन, कार लोन, और पर्सनल लोन की ब्याज दरें भी बढ़ जाती हैं, जिससे आपकी ईएमआई पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस निर्णय के बाद, बैंकों की तरफ से एफडी की ब्याज दर में कटौती की संभावना है, जिससे आर्थिक स्थिरता पर प्रभाव पड़ सकता है।
इस नई मौद्रिक नीति के साथ ही आरबीआई ने आर्थिक मामलों को सुधारने के लिए कई उपायों को अपनाया है, जिसका उद्देश्य देश की आर्थिक स्थिति को सुधारना है।