अमेजन नदी में हुआ 121 वर्षों का सबसे बड़ा सूखा, जिसका असर विस्तृत है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सबसे भयानक सूखा है, और नदी का पानी लावा की तरह खौल रहा है। तापमान मनुष्यों के शरीर से 2 डिग्री अधिक हो गया है और सूखे से 150 डॉल्फिनों की मौत हो गई है। इसका प्रभाव नदी के पास बसी जीव-जंतुओं और मानव बस्तियों पर हो रहा है।

अमेजन नदी का तापमान मनुष्यों के शरीर के तापमान से 2 डिग्री ज्यादा है, जिससे नदी का पानी खौल रहा है। यह सूखा और तापमान बढ़ने से 150 डॉल्फिनों की मौत हो गई है। इसके अलावा, नदी के तटीय क्षेत्र में बसी मानव बस्तियां अलग-थलग हो गईं हैं, और उनकी आजीविका छीन गई है। यह सूखा और जंगलों में आग लगने का भी खतरा बढ़ा रहा है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, इस सूखे का प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग है, जिससे नदी के पानी में वृद्धि हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते अल नीनो की स्थितियां बार-बार उत्पन्न हो रही हैं, और इसका असर अमेजन नदी पर भी हो रहा है।

इस सूखे के चलते मध्य प्रशांत महासागर में पानी के सामान्य तापमान पर लौटने की संभावना कम है, और इससे जंगलों में आग लगने का भी खतरा है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यह स्थिति 2024 तक जारी रह सकती है।
अमेज़न नदी, विश्व की सबसे बड़ी नदी, वर्तमान में एक अभूतपूर्व सूखे के सामना कर रही है। इस बारहवीं सदी के इतिहास में यह 121 वर्षों का सबसे बड़ा सूखा है। नदी के पानी का तापमान मानव शरीर से 2 डिग्री अधिक है और 39 डिग्री तक पहुंच गया है। इससे नदी का पानी लावा की तरह खौल रहा है।
इस सूखे और तापमान बढ़ने के परिणामस्वरूप, नदी में लगभग 150 डॉल्फिनों की मौत हो गई है। अमेज़न क्षेत्र में सूखा की स्थिति के कारण दक्षिण अफ्रीकी देशों में भी जीवन संकट है, जहां लाखों लोगों और जानवरों को पानी की कमी है।

वैज्ञानिकों के अनुसार, यह सूखा कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण हुआ है और कम से कम 2024 तक इसकी स्थिति बनी रह सकती है। इस घड़ी में नदी के तटीय क्षेत्रों में बसे मानव बस्तियां अलग-थलग हो गई हैं, उनकी आजीविका प्रभावित हो रही है और बुनियादी सुविधाओं में कमी हो रही है।
वैश्विक वायर्मिंग के कारण भी सूखे का खतरा है, और इसका सीधा असर अमेज़न नदी में दिख रहा है। इससे उत्पन्न होने वाले विभिन्न प्राकृतिक परिस्थितियों के चलते नदी में सूखा और तापमान बढ़ सकता है, जिससे जलवायु परिवर्तन का सीधा प्रमाण मिलता है।
इससे पहले भी 41 साल पहले एक ऐसा सूखा आया था जिसने दुनियाभर में 2 लाख से अधिक लोगों की मौत का कारण बना था, जिसमें जंगलों में आग भी लग गई थी।

इस समय, अमेज़न नदी क्षेत्र में वायर्मिंग और अल नीनो की स्थिति से संबंधित वैज्ञानिकों को सावधानी बरतनी चाहिए ताकि सूखा के प्रभाव को संज्ञान में लेकर आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
इस समय की घड़ी में हमें जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभावों को समझने की आवश्यकता है, और हम सभी को अपनी जिम्मेदारियों का सही से पालन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
यह विषय देखते हुए मैं नदीओं की भूमि और जलवायु परिवर्तन की सुरक्षा के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए कुछ कदम उठाएं ताकि हम एक स्वस्थ और स्थिर पर्यावरण में रह सकें।