असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में बिहार के किशनगंज में अख्तरुल ईमान के समर्थन में चुनावी रैली की जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। इस रैली में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को लेकर तीखी टिप्पणियां की और सीएए-एनआरसी के मुद्दे पर भी बड़े आरोप लगाए।
ओवैसी ने अपनी भाषा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुसलमानों को नागरिकता से महरूम करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी सीमांचल की जनता को घुसपैठी बोलकर तौहीन कर रहे हैं और दस साल तक वे लोग क्या सो रहे थे? यहां तक कि उन्होंने कहा कि सीएए-एनआरसी के जरिए तकलीफ पहुंचाना चाहते हैं।
इसके अलावा, ओवैसी ने तेजस्वी यादव को लेकर भी कुछ टिप्पणियां की। उन्होंने कहा कि दूल्हे भाई के बिना वो जिंदा नहीं रह सकते, जिससे उन्होंने खुद को तेजस्वी यादव का “जीजा” करार दे दिया। यह तकनीक का इस्तेमाल उन्होंने यहां तक किया कि उन्होंने बिल्किस बानो और बाबरी मस्जिद को भी उठाया और केंद्र सरकार को “जालिमों की सरकार” बताया।
ओवैसी का यह बयान उनके आपत्तिजनक और विवादास्पद बयानों के लिए जाना जाता है, जो राजनीतिक माहौल में अफवाहें और विवादों का कारण बनते हैं। इससे व्यक्ति की नीतियों और राजनीतिक पक्ष की धार्मिक भावनाओं पर भी प्रभाव पड़ता है। ओवैसी के इस बयान से स्पष्ट होता है कि वे अपने पक्ष को मजबूत करने के लिए आरोप और तीखी टिप्पणियों का सहारा लेते हैं, जिससे उनके पक्ष के समर्थकों में उत्साह और आत्मविश्वास बढ़ता है।
किशनगंज में ओवैसी की यह रैली बिहार के चुनावी मैदान में एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यहां पर महागठबंधन, एनडीए और ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार एक-दूसरे के सामने हैं। इस रैली से साफ होता है कि ओवैसी अपने पक्ष को बिहार के मुसलमानों के बीच प्रमुख विकल्प के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके यहां के बयानों से स्पष्ट होता है कि वे चुनावी प्रक्रिया को दर्शनिय और समर्थन से भर देने के लिए तैयार हैं।
किशनगंज लोकसभा सीट पर यह चुनाव एक महत्वपूर्ण चुनाव है क्योंकि यहां के वोटर्स की एक बड़ी हिस्सेदारी मुस्लिम वोटर्स से होती है। ओवैसी के इस इलाके में उम्मीदवार अख्तरुल ईमान को लेकर यह रैली उनके पक्ष के लिए एक बड़ा कदम है जिससे उनके पक्ष के समर्थकों को उत्साह और विश्वास मिलेगा।
ओवैसी के बयानों से स्पष्ट होता है कि वे खुलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उत्तर प्रदेश और बिहार में चल रहे चुनावी मैदान में हिस्सा लेने के लिए तैयार हैं। उन्होंने उनकी सरकार के कार्यकाल को गलतियों से भरा बताया और उन्होंने मोदी और शाह के खिलाफ अपने पक्ष को जोड़ने का प्रयास किया है। इससे साफ होता है कि ओवैसी चुनावी प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि वे अपने पक्ष के समर्थकों को जुटाकर चुनाव जीत सकें।
इस रैली में ओवैसी ने एक तरफ अपने पक्ष की अटकलें और उम्मीदों को साझा किया और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को लेकर कड़े आरोप लगाए। इससे स्पष्ट होता है कि बिहार के चुनावी मैदान में ओवैसी एक महत्वपूर्ण चुनावी खिलाड़ी बन चुके हैं और उनके बयानों का महत्वपूर्ण रोल रहेगा।