आजम चीमा की मौत की खबर सुनते ही मुंबई के 26/11 आतंकी हमले और जुलाई 2006 के ट्रेन बम विस्फोट के शिकार लोगों के दिल में एक तरह का आतंकी डर फिर से उत्पन्न हो गया। इन घटनाओं के पीछे होने वाले आतंकवादी के रूप में आजम चीमा का नाम पूरे भारतीय जनता के लिए बहुत चिंताजनक है। चीमा को लश्कर-ए-तैयबा के इंटेलीजेंस चीफ के रूप में जाना जाता था और उसकी मौत के साथ ही एक युग का समापन हो गया।
आजम चीमा को माना जाता था एक अत्यंत दंगी और सख्त आतंकवादी। उसके नेतृत्व में कई आतंकी हमले हुए थे, जिनमें मुंबई के 26/11 हमले और मुंबई ट्रेन बम विस्फोट शामिल हैं। चीमा को नक्शे पढ़ने का एक्सपर्ट माना जाता था और उसने लश्कर के आतंकवादियों को भारत के महत्वपूर्ण स्थलों की जानकारी और नक्शे पर उन्हें निर्देश देने में मदद की थी।
चीमा का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था लेकिन उसकी मौत के साथ ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत हासिल हुई है। पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों को बड़ा झटका पहुंचा है और यह उनके द्वारा भारत के खिलाफ साजिश करने की क्षमता को कमजोर करेगा।
चीमा की मौत के बाद पाकिस्तानी हलकों में अटकलों का दौर चल रहा है जिसमें उनकी मौत का अटकला किया जा रहा है। पिछले कुछ समय में कई लश्कर आतंकियों की रहस्यमय हत्याएं हुईं हैं और पाकिस्तान ने भारतीय एजेंसियों पर इन हत्याओं के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के कई लोगों की हत्याओं के आरोप लगाए हैं।
पिछले कुछ समय में पाकिस्तान में छिपे भारत के कई मोस्ट वांटेड आतंकवादी मारे गए हैं, जिनमें लश्कर संगठन से जुड़े थे। इनमें से एक नाम है अदनान अहमद उर्फ हंजला, जो कि मुंबई के 26/11 हमले के प्रमुख थे। उनकी हत्या कराची में अज्ञात हमलावरों द्वारा की गई।
अकरम खान और ख्वाजा शाहिद जैसे लश्कर के अन्य आतंकी भी पिछले कुछ समय में मारे गए हैं, जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत हासिल हुई है।
चीमा की मौत से पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ा है और यह भारत और अन्य देशों के लिए एक बड़ी राहत है।