पटना हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला किया है जिसमें यह निर्णय लिया गया है कि बीएड डिग्री धारक प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के पद के लिए योग्य नहीं माने जाएंगे। पटना हाई कोर्ट ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा धारकों को ही इस पद के लिए मान्यता प्राप्त है। इस फैसले को पटना हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव रॉय की पीठ ने सुनाया।
इस फैसले के अनुसार, शिक्षा विभाग ने 2021 और 2022 में की गई प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई की गई थी। इसमें यह भी कहा गया कि बीएड डिग्री वालों को प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य नहीं माना जा सकता है। चीफ जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा जारी 28 जून, 2018 की अधिसूचना अब लागू नहीं है और बीएड उम्मीदवारों को प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र नहीं माना जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी हाल ही में एक समर्थनीय फैसला दी है जिसमें इस बारे में कहा गया है कि प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा धारकों को ही इस पद के लिए चयन किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्री धारकों को बच्चों को संभालने के लिए शैक्षणिक कौशल के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है इस बारे में भी राय दी है। उन्होंने एनसीटीई की 2018 में जारी अधिसूचना को रद्द कर दिया जिसमें प्राथमिक शिक्षकों के लिए योग्यता के रूप में बीएड निर्दिष्ट किया गया था।
इस प्रकार, पटना हाई कोर्ट के फैसले ने बीएड डिग्री धारकों के लिए प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक के पदों के लिए एक नया मापदंड स्थापित किया है, जिससे उन्हें इस नौकरी के लिए योग्यता प्राप्त नहीं होगी।