हाथरस में हुई भगदड़ की घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस हादसे में 121 लोगों की जान चली गई और कई लोग घायल हो गए। इस त्रासदी की जड़ में बाबा नारायण साकार विश्व हरि और उनके सेवादारों की गुंडई और प्रशासनिक लापरवाही का बड़ा हाथ है। आइए, इस घटना की पूरी कहानी पर नजर डालते हैं।
अंधभक्ति की पट्टी
हाथरस में हुए हादसे ने यह साफ कर दिया है कि जब लोगों की आंखों पर अंधभक्ति की पट्टी बंधी होती है, तो वे सही और गलत का फर्क भूल जाते हैं। बाबा नारायण साकार विश्व हरि के अनुयायी उनकी भक्ति में इतने लीन थे कि वे उनकी सुरक्षा को नजरअंदाज कर बैठे। अगर बाबा के सेवादारों ने अनुयायियों के साथ धक्का-मुक्की न की होती और अनुयायी संयम बनाए रखते, तो शायद यह हादसा टल सकता था।
प्रशासनिक लापरवाही
इस घटना में प्रशासन की लापरवाही भी खुलकर सामने आई है। एसडीएम की रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यक्रम के लिए 80,000 लोगों की अनुमति ली गई थी, लेकिन वहां ढाई लाख से अधिक अनुयायी पहुंच गए थे। इतना बड़ा जनसमूह इकट्ठा होने के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए, जिससे भीड़ बेकाबू हो गई।
गुंडई और अफरातफरी
बाबा नारायण साकार विश्व हरि के सेवादारों की गुंडई ने इस हादसे को और भी भयावह बना दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेवादारों ने अनुयायियों को धक्का मारा, जिससे अफरातफरी मच गई। भगदड़ मचने की वजह से लोग एक-दूसरे पर गिरते गए और पीछे से आ रहे लोग उन्हें कुचलते चले गए। गीली ढलान ने इस हादसे को और भी खतरनाक बना दिया।
मैनपुरी आश्रम पर पुलिस की कार्रवाई
हादसे के बाद पुलिस ने मैनपुरी में बाबा के आश्रम पर छापा मारा। पुलिस पूरी फोर्स के साथ आश्रम में दाखिल हुई और आश्रम की लाइट भी काट दी गई। इस कार्रवाई का मकसद था घटना की सच्चाई का पता लगाना और दोषियों को सजा दिलाना।
योगी सरकार की न्यायिक जांच आयोग
योगी सरकार ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग गठित किया है। इस आयोग की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव करेंगे। आयोग को दो महीने में अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। आयोग में शामिल अन्य सदस्य भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी हेमंत राव और भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी भावेश कुमार सिंह हैं।
परिजनों का दर्द
हादसे के बाद परिजन अपने प्रियजनों की तलाश में भटक रहे हैं। कई परिवारों ने अपने रिश्तेदारों को खो दिया है और वे शवों में सांसें टटोलते रहे। राकेश नामक व्यक्ति अपनी बहन हरबेजी देवी की तलाश में 100 से ज्यादा शवों को देख चुके हैं। यह दर्दनाक तस्वीर उस त्रासदी को बयां करती है, जो वहां मौजूद हर व्यक्ति ने झेली है।
कार्यक्रम की अनुमति और शर्तों का उल्लंघन
प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, सत्संग कार्यक्रम की अनुमति देने वाले एसडीएम भी घटना के समय कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे। रिपोर्ट में कहा गया कि कार्यक्रम में दो लाख से अधिक लोग मौजूद थे, जबकि केवल 80,000 लोगों की अनुमति दी गई थी। बाबा नारायण साकार हरि के अनुयायी बाबा के चरणों की धूल माथे पर लगाने और उनके दर्शन के लिए डिवाइडर से कूदकर उनके वाहन की ओर दौड़ने लगे। इसी दौरान सेवादारों ने भीड़ को रोकने के लिए धक्का-मुक्की शुरू कर दी, जिससे भगदड़ मच गई।
हाथरस में हुई भगदड़ की घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हादसे में बाबा नारायण साकार विश्व हरि के सेवादारों की गुंडई और प्रशासन की लापरवाही साफ तौर पर नजर आती है। यह घटना हमें यह सिखाती है कि अंधभक्ति और प्रशासनिक लापरवाही का परिणाम कितना भयानक हो सकता है। इस त्रासदी से सबक लेते हुए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और लोगों की जान सुरक्षित रहे। योगी सरकार द्वारा गठित न्यायिक जांच आयोग से उम्मीद है कि वह दोषियों को सजा दिलाएगा और न्याय की जीत होगी।