भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में इन दिनों हालात अत्यंत तनावपूर्ण हैं। सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों ने अब हिंसक रूप ले लिया है। इसके चलते देश भर में कर्फ्यू लगाना पड़ा है और सड़कों पर सेना के जवानों को तैनात कर दिया गया है।
विरोध प्रदर्शन और हिंसा

बांग्लादेश की राजधानी ढाका और अन्य प्रमुख शहरों में सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली में सुधार की मांग को लेकर छात्रों और अन्य समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। यह प्रदर्शन कुछ सप्ताह पहले शुरू हुए थे, लेकिन हाल के दिनों में इनकी तीव्रता में काफी वृद्धि हुई है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली को योग्यता आधारित प्रणाली में बदला जाए।
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रदर्शनकारियों की बढ़ती संख्या और हिंसा को देखते हुए, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू की घोषणा की। सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के महासचिव ओबैदुल कादर ने इस कर्फ्यू की घोषणा करते हुए कहा कि सैन्य बलों की तैनाती का भी आदेश दिया गया है ताकि देश में व्यवस्था बनाए रखी जा सके।
पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई

विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस और सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की और आंसू गैस के गोले दागे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस हिंसा में कई लोग मारे गए हैं और सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। ढाका पुलिस ने राजधानी में सभी सभाओं और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही, इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं, ताकि प्रदर्शनकारियों के बीच संचार को रोका जा सके।
कर्फ्यू और सेना की तैनाती

कर्फ्यू के बाद, सड़कों पर सेना के जवानों को तैनात कर दिया गया है। सेना के जवान नागरिक प्रशासन को व्यवस्था बनाए रखने में मदद कर रहे हैं। इस बीच, सरकार ने परिसरों को बंद करने और विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए पूरी राजधानी में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया है।
इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर प्रतिबंध

प्रदर्शनकारियों के बीच संचार को रोकने के लिए, सरकार ने इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी काम नहीं कर रहे हैं। इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं के बाधित होने से देश में उड़ानों, बैंकों, मीडिया आउटलेट्स और कंपनियों की सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं।
प्रदर्शनकारियों की मांग
प्रदर्शनकारी सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना के समर्थकों को लाभ पहुंचा रही है। छात्र चाहते हैं कि इसे योग्यता आधारित प्रणाली में तब्दील किया जाए, ताकि सभी को समान अवसर मिल सके। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस आरक्षण प्रणाली का बचाव करते हुए कहा है कि संघर्ष में योगदान देने वालों को सम्मान मिलना चाहिए, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो।
विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि

यह विरोध प्रदर्शन 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ है। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि यह प्रणाली भेदभावपूर्ण है और इसे समाप्त कर योग्यता आधारित प्रणाली लागू की जानी चाहिए।
बांग्लादेश में चल रहे विरोध प्रदर्शनों और सरकार की प्रतिक्रिया ने देश को एक गंभीर संकट में डाल दिया है। कर्फ्यू और सेना की तैनाती के बावजूद, हालात अभी भी तनावपूर्ण बने हुए हैं। सरकार को इन विरोध प्रदर्शनों का समाधान खोजने के लिए तत्परता से कदम उठाना होगा, ताकि देश में शांति और स्थिरता बहाल हो सके। प्रदर्शनकारियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए, एक निष्पक्ष और समान प्रणाली लागू करना ही इस संकट का स्थायी समाधान हो सकता है।