बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण को लेकर हाई कोर्ट ने दिया हरी झंडी, जानिए इस योजना के बारे में। इस कॉरिडोर का ब्लूप्रिंट पहले ही तैयार है और इसमें कहां-क्या होगा, इसकी पूरी रूप-रेखा तैयार है। राज्य सरकार ने अदालत को मंदिर क्षेत्र को कॉरिडोर के तौर पर विकसित करने की जानकारी दी है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर के निर्माण को हरी झंडी दी और जनहित याचिका पर अगली सुनवाई के लिए 31 जनवरी, 2024 की तिथि निर्धारित की। मुख्य न्यायाधीश प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की पीठ ने यह आदेश पारित किया।

योजना के अनुसार, मंदिर के आसपास 5 एकड़ जमीन पर पार्किंग और अन्य सार्वजनिक सुविधाएं होंगी, जिसका खर्च राज्य सरकार उठाएगी। कॉरिडोर का निर्माण दो हिस्सों में होगा – एक निचला और एक ऊपरी क्षेत्र। इसमें करीब 500 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
ऊपरी क्षेत्र में प्रतीक्षालय, गलियाला, परिक्रमा क्षेत्र, खुला क्षेत्र, सामान घर, शिशु गृह, चिकित्सा, और वीआईपी रूम जैसी सुविधाएं होंगी। निचले क्षेत्र में भी विभिन्न सुविधाएं होंगी जैसे प्रतीक्षालय, जूताघर, सामान घर, शिशु गृह, चिकित्सा सेवा, वीआईपी रूम, और सामग्री दुकान।

याचिकाकर्ता के मुताबिक, भक्तों को आने वाली समस्या को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि यह सुनिश्चित किया जाए कि दर्शन के लिए कोई बाधा नहीं होती और उचित वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। जिला प्रशासन से भी यह निर्देश दिया गया है कि उन्हें उक्त निर्देशों का सख्ती से अनुपालन करना होगा।

इसके साथ ही, योजना में श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा की भी पूरी व्यवस्था की जाएगी ताकि कोई भी हादसा नहीं हो। मंदिर परिसर के आसपास गलियारा बनाने के लिए भी स्थानीय प्रशासन पर जिम्मेदारी है।
बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के निर्माण से एक साथ करीब दस हजार लोग अपने ठाकुर जी का दर्शन आसानी से कर सकेंगे, इसके साथ ही मंदिर क्षेत्र को और भी सुरक्षित और व्यापक बनाने का एक कदम है।