भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण सौर मिशन, आदित्य एल-1 मिशन, ने सूरज के प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर, की गहरी समझने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने का लक्ष्य रखा है।
भारत का सूर्य अध्ययन मिशन: आदित्य एल-1
इस मिशन के बारे में यहाँ पर अद्यतित जानकारी दी गई है भारत के इसरो ने अपने नए सौर मिशन “आदित्य एल-1” के तहत सूर्य की अध्ययन का आगाज़ किया है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य की क्रोमोस्फीयर, और प्रकाशमंडल का अध्ययन करना है। इसके साथ ही, यह मिशन सौर प्रकाशमंडल के अनुसंधान के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है। आदित्य एल-1 मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह सूर्य के विज्ञान में भारत की पहली स्पेस बेस्ड सोलर लैब को प्रस्तुत करता है। इसके माध्यम से, हम सूर्य के बारे में नई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जो निजी और वाणिज्यिक उपयोग के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
इसरो का सूर्य के प्रकाशमंडल की अध्ययन मिशन
सूरज के प्रकाशमंडल का अध्ययन करने के लिए मिशन का प्रक्षेपण 19 सितंबर को हुआ है। इसके बाद, मिशन की यात्रा आरंभ हो गई है, जो सूर्य और धरती के बीच लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी को कवर करेगी। इसरो ने मिशन के आदित्य एल-1 सेंसर्स के माध्यम से वैज्ञानिक डेटा के जमा करने की जानकारी दी है। इस डेटा के माध्यम से, वैज्ञानिक धरती के आसपास के कणों के बर्ताव का विश्लेषण करेंगे, जिससे सूर्य के बारे में नई जानकारी मिल सकती है।
आदित्य एल-1 मिशन: सूर्य और मौसम का अध्ययन
आदित्य एल-1 सूर्य और मौसम की गतिशीलता, कणों पर क्षेत्रों के प्रसार, और मौसम की दिन-रात की परिस्थितियों का भी अध्ययन करेगा। आदित्य एल-1 मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे हम सूर्य के और भी गहरे अध्ययन को आगे बढ़ा सकते हैं। इसके साथ ही, इसरो का यह मिशन सर्वविश्व में भारत की अंतरिक्ष क्षमता को बढ़ावा देने का भी एक कदम है।