भारत में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) का अंतिम मसौदा जल्द ही सामने आ सकता है, इसके बारे में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ने बड़ा अपडेट दिया है। मतुआ समुदाय की सभा को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के पद पर कार्यरत अजय मिश्रा ने बताया कि CAA का अंतिम मसौदा अगले वर्ष 30 मार्च तक तैयार होने की उम्मीद है।
क्या है CAA?
CAA में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान है। इसका उद्देश्य उन लोगों को आसानी से भारत में नागरिकता प्राप्त करने में सहारा प्रदान करना है, जो अपने धर्म से आत्मसमर्पित होकर प्रताड़ित हो रहे हैं।
तैयारी की तारीख:
अजय मिश्रा ने बताया कि CAA का अंतिम मसौदा 30 मार्च तक तैयार होने की उम्मीद है, जिससे संशोधित नागरिकता कानून को लागू करने का मार्ग मिल सके। उन्होंने इस परियोजना के लिए कुछ सालों से तेजी से काम हो रहा है और उम्मीद है कि इसमें संशोधन करने के बाद उच्चतम न्यायालय की मंजूरी मिल जाएगी।
मतुआ समुदाय
अजय मिश्रा ने मतुआ समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि मतुआ समुदाय के लोग बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आ गए थे और इस समुदाय के लोगों का अधिकांश अब भारतीय नागरिकता का हकदार है।
तृणमूल कांग्रेस का प्रतिक्रिया:
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने अजय मिश्रा के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि भाजपा को केवल चुनाव के दौरान मतुआ और सीएए की याद आती है, और उन्होंने दावा किया कि इस दल को पश्चिम बंगाल में कभी भी CAA लागू नहीं कर पाएगी।
नागरिकता कानून:
CAA के अंतर्गत, 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान किया जाएगा। इससे उन्हें भारतीय नागरिकता के अधिकार मिलेंगे और वे अपने धर्म और सांस्कृतिक आधार पर स्थानीय समाज में समाहित हो सकेंगे।