15 अगस्त 1947 को जब भारत ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की, तो इस ऐतिहासिक दिन के साथ ही एक और घटना ने पूरे उपमहाद्वीप को झकझोर कर रख दिया। यह घटना थी भारत का विभाजन और पाकिस्तान का गठन। धार्मिक आधार पर हुए इस विभाजन ने न केवल राजनीतिक और भौगोलिक सीमाओं को बदल दिया, बल्कि संपत्ति, सेना, और आर्थिक संसाधनों के बंटवारे का भी एक जटिल और विवादित मुद्दा पैदा किया। इस विभाजन के दौरान संपत्ति और संसाधनों का बंटवारा कैसे हुआ, किसे क्या मिला, और यह प्रक्रिया कितनी कठिन थी, यह जानना बेहद महत्वपूर्ण है।
विभाजन की पृष्ठभूमि
ब्रिटिश भारत का विभाजन एक दर्दनाक और विवादास्पद घटना थी। इस विभाजन के तहत भारत और पाकिस्तान दो अलग-अलग राष्ट्रों के रूप में उभरे। पाकिस्तान को धर्म के आधार पर एक मुस्लिम राष्ट्र के रूप में स्थापित किया गया, जबकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बना। इस विभाजन की योजना ब्रिटिश वकील सर सिरिल रैडक्लिफ ने बनाई, जिन्होंने भारत के नक्शे पर रेखा खींचकर दोनों देशों को अलग किया। लेकिन, इस विभाजन के साथ ही सेना, धन, और अन्य संपत्तियों का बंटवारा एक बड़ी चुनौती बन गई।
धन और संपत्ति का बंटवारा
विभाजन समझौते के अनुसार, ब्रिटिश भारत की संपत्ति और देनदारियों को 17 प्रतिशत के अनुपात में पाकिस्तान को दिया गया। उस समय भारत के पास कुल 400 करोड़ रुपये थे, जिनमें से 75 करोड़ रुपये पाकिस्तान के हिस्से में आए। इसके अलावा, पाकिस्तान को 20 करोड़ रुपये की कार्यशील राशि भी दी गई। यह बंटवारा बहुत ही जटिल और विवादित था, क्योंकि दोनों देशों के पास सीमित संसाधन थे, और उन्हें अपने-अपने देशों के निर्माण के लिए बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता थी।
चल संपत्ति और सेना का बंटवारा
चल संपत्तियों का बंटवारा 80-20 के अनुपात में किया गया, जहां भारत को 80 प्रतिशत और पाकिस्तान को 20 प्रतिशत संपत्ति मिली। सेना के बंटवारे में भी इसी तरह का अनुपात अपनाया गया। विभाजन के समय, ब्रिटिश भारतीय सेना को भी विभाजित किया गया, जिसमें सैनिकों, हथियारों, और अन्य सैन्य उपकरणों का बंटवारा किया गया। यह बंटवारा न केवल तकनीकी रूप से जटिल था, बल्कि इसमें भावनात्मक और सामाजिक कारक भी शामिल थे, क्योंकि कई सैनिकों को अपने परिवारों से दूर होना पड़ा।
जानवरों और अन्य संसाधनों का बंटवारा
सेना और धन के अलावा, विभाजन के दौरान जानवरों और अन्य संसाधनों का भी बंटवारा किया गया। उदाहरण के लिए, ‘जॉयमोनी’ नामक एक हाथी को लेकर विवाद हुआ था। इस विवाद के बाद, पश्चिम बंगाल को कार मिली, जबकि पूर्वी बंगाल (जो उस समय पाकिस्तान का हिस्सा था) के हिस्से में ‘जॉयमोनी’ हाथी आया। इसी तरह, सोने की परत से चढ़ी घोड़े से खींची जाने वाली बग्गी पर भी दोनों देशों ने दावा ठोका। इस बग्गी का फैसला टॉस के माध्यम से किया गया, जिसमें भारत ने टॉस जीतकर इस बग्गी को अपने नाम कर लिया।
मुद्रा और सिक्कों का बंटवारा
विभाजन के बाद, मुद्रा और सिक्कों का भी बंटवारा किया गया। विभाजन परिषद ने दोनों देशों को 31 मार्च 1948 तक मौजूदा सिक्कों और मुद्रा को जारी रखने का फैसला सुनाया। इसके बाद, पाकिस्तान में 1 अप्रैल से 30 सितंबर 1948 के बीच नए सिक्के और नोट जारी किए गए। हालांकि, पुरानी मुद्रा को भी कुछ समय तक चलन में रखा गया, जिससे बंटवारे के बाद भी पुराने सिक्कों और नोटों का उपयोग जारी रहा।
सांस्कृतिक और पुरातात्विक संपत्तियों का बंटवारा
संपत्ति और संसाधनों के अलावा, सांस्कृतिक और पुरातात्विक अवशेषों का भी बंटवारा किया गया। 1950 के दशक में, दोनों देशों के बीच इन अवशेषों को लेकर भी विवाद हुआ। दोनों देश अपने-अपने हिस्से में अधिक से अधिक सांस्कृतिक धरोहर प्राप्त करना चाहते थे, जिससे विवाद और बढ़ गया। यह बंटवारा भी बहुत ही जटिल और संवेदनशील था, क्योंकि इसमें दोनों देशों की सांस्कृतिक पहचान और इतिहास का मुद्दा शामिल था।
भारत-पाकिस्तान विभाजन न केवल एक राजनीतिक और भौगोलिक विभाजन था, बल्कि यह एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया थी, जिसमें धन, संपत्ति, सेना, और अन्य संसाधनों का बंटवारा शामिल था। इस विभाजन ने दोनों देशों के भविष्य को निर्धारित किया और उनके बीच कई विवादों को जन्म दिया। हालांकि, यह बंटवारा आज भी इतिहास का एक दर्दनाक अध्याय बना हुआ है, जो हमें याद दिलाता है कि विभाजन का दर्द और उसकी जटिलताएं कितनी गहरी थीं।