बिहार के गया जिले के एक छोटे से गांव में स्थित गुरुकुल ने अपने अनोखे प्रयासों के लिए खुद को प्रमुख बना दिया है। इस गुरुकुल में शिक्षा न केवल पाठ्यक्रमों के माध्यम से दी जाती है, बल्कि यहां बच्चों को प्रकृति से जुड़े कई कौशल भी सिखाए जाते हैं। अक्सर अद्वितीय कहानियां हमारे दिलों को छू लेती हैं, बिहार के गया जिले के बाराचट्टी प्रखंड में स्थित कोहबरी गांव में एक अनोखा शिक्षा केंद्र उभरा है, जो बच्चों को गुरुकुल की तरह शिक्षा प्रदान कर रहा है। इस स्कूल को पढ़ाई के साथ-साथ प्राकृतिक जीवन के कई पहलुओं का भी ज्ञान दिलाया जाता है। जहां शिक्षा का सफर बीहड़ जंगलों के बीच पति-पत्नी के नेतृत्व में चल रहा है।
दिल्ली के युवक-युवती ने बिहार के गांव के बच्चों को दिया अनूठा शिक्षा
यहां के बच्चों को गुरुकुल की तर्ज पर दिया जा रहा है शिक्षा, जहां पढ़ाई के साथ-साथ प्रकृति से प्रेम भी किया जा रहा है। इस गुरुकुल में छात्रों को खाना बनाना सीखाया जाता है, खेतों में काम करना सिखाया जाता है, और चटाई बनाने का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। यह सभी कुछ अनूठा है, क्योंकि इस गुरुकुल का संचालन दिल्ली से आये युवक-युवती अनिल और रेखा द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने अपनी अच्छी नौकरी को छोड़कर बिहार के गांव के बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प बनाया है।
सपनों से गांव तक: उच्च शिक्षा से गुरुकुल तक का संघर्ष
उन्होंने दिल्ली में उच्च शिक्षा पूरी की और वहां अच्छे वेतन पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्होंने अपने सपनों को अपने गांव के बच्चों की शिक्षा को समर्पित करने के लिए बदल दिया। इसके परिणामस्वरूप, वे इस गुरुकुल का संचालन करने के लिए उन्होंने 1000 किलोमीटर की दूरी को तय कर ,दिल्ली से गया की ओर मिट्टी के कच्चे रास्तों के सहारे कोहबरी गांव तक पहुंचते हैं। इसके बावजूद कि इस इलाके में नक्सली घटनाएं होती रहती हैं, अनिल और रेखा ने यह काम जारी रखा है। गुरुकुल में अब तक एक छात्र ने मैट्रिक की परीक्षा पास की है और सरकारी स्कूल की परीक्षा में उनके छात्र भी शामिल होंगे।
2017 से आज तक: अनूठे गुरुकुल का सफर
इस अद्वितीय स्कूल का सफर 2017 से शुरू हुआ है, और यह गुरुकुल बच्चों को सिर्फ शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन की मूल की कई महत्वपूर्ण कौशल भी सिखाता है। यह गुरुकुल न केवल शिक्षा का माध्यम है, बल्कि यह एक अनूठा संकल्प है जो हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षा का सफर किसी भी परिस्थिति में संभव है, अगर आप मेहनत और संघर्ष के साथ होते हैं। अनिल और रेखा की इस कड़ी मेहनत और समर्पण को हम सभी सलाम करते हैं, और उनके इस अद्वितीय स्कूल को हमें प्रेरणा देता है।
शिक्षा में नए प्रयासों का सफर: एक आदर्श गुरुकुल
यह स्कूल एक आदर्श है कि शिक्षा के क्षेत्र में नए और अनोखे प्रयासों से बच्चों को सिखाने का सही तरीका है। पति-पत्नी की इस निःस्वार्थ पहल को सलाम है, जिन्होंने बच्चों के भविष्य के लिए एक अलग राह चुनी है। यह गुरुकुल एक ऐसा स्थान है जो हमें यह सिखाता है कि जब किसी का संकल्प और समर्पण मजबूत होता है, तो कुछ भी संभव है। इसे हमें गर्व से मानना चाहिए, और इसके प्रेरणास्पद कदमों का साथ देना चाहिए। इस गुरुकुल का संचालन करने वाले अनिल और रेखा को हमारी तरफ से सलामी और समर्थन।