बिहार के कैमूर जिले में हुए शौचालय घोटाले के मामले में हुई जांच ने एक बार फिर से सामने लाए कचरा सफाई और खाद नाम पर फर्जी लाभार्थियों की धांधली की घटनाओं को। इस मामले में 273 ऐसे लोगों को शामिल किया गया है जिन्होंने शौचालय बनवाने का दावा किया था, लेकिन वास्तविकता में उन्होंने कुछ भी नहीं किया था।
छोटे बैंकों के माध्यम से प्रायोजित पेमेंट के घोटाले में प्रखंड विकास पदाधिकारी और अन्य के खिलाफ आरोप
इस घोटाले में सबसे बड़ी बात यह है कि यह पेमेंट राशि किसी बड़े बैंक में नहीं जाने, बल्कि एयरटेल और फिनो जैसे छोटे बैंक में पेमेंट किया गया था, और इनमें से कई खाता धारकों का पता भी फर्जी निकला। इस मामले में प्रखंड विकास पदाधिकारी भभुआ को भी दोषी मानते हुए कुल पांच लोगों को आरोपित बनाया गया है। केवल एक प्रखंड में ही लगभग 30 लाख रुपए का घोटाला सामने आया है, और अगर इस पूरे प्रकरण की जांच कैमूर जिले के सभी प्रखंडों में की जाए, तो और भी घोटाले के मामले सामने आ सकते हैं।
कैमूर शौचालय घोटाले के संबंध में जांच की जाएगी
इस घोटाले का बड़ा हिस्सा यह है कि शौचालय के भुगतान से पहले उसका स्पॉट वेरिफिकेशन किया जाना चाहिए, और फिर ही भुगतान करने का प्रावधान है, लेकिन यहां पर इस प्रक्रिया को उल्लंघन किया गया था। कैमूर जिले के डीडीसी ने इस मामले की जांच कराने का आदेश दिया है, और इसमें प्रखंड विकास पदाधिकारी और अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
भभुआ प्रखंड के बीडीओ को दोषी माना गया है, न्यायिक कार्रवाई की जाएगी
भभुआ प्रखंड के बीडीओ ने इस मामले में अपने आप को बेगुनाह साबित करने के लिए जांच करवाई थी, और उन्होंने कहा कि उन्हें ही दोषी बनाया गया है। उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है इस प्रकरण में हो रही जांच से पता चला कि कई अयोग्य लाभार्थियों को पेमेंट कर दिया गया है, और इसे जांचने के बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी भभुआ को दोषी माना गया है। इस घोटाले के मामले में न्यायिक कार्रवाई की जाएगी, और इसके खिलाफ जांच की जाएगी ताकि दोषियों को सजा मिल सके।