बिहार के सरकारी स्कूलों को लेकर पिछले काफी दिनों से चर्चा चल रही है। कभी ये शिक्षा व्यवस्था को लेकर चर्चा में बना रहता है तो कभी शिक्षकों के अजीबोगरीब रवैये को लेकर। बिहार के सरकारी स्कूलों की हालत बेहद ख़राब हो रही है। यहां ना तो स्कूलों में बल्ब लगे या कभी शौचालयों की सफाई हो रही है। लेकिन इस पर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है।
खाते में करोड़ों रूपए फंड, फिर भी उपयोग नहीं हो रहा
इस महीने की शुरुआत से पूरे राज्य के अस्सी हजार स्कूलों में निरीक्षण शुरू हुआ है। इसमें स्कूलों की जांच हो रही है। इस दौरान स्कूलों में टूटे-फूटे क्लासरूम, लाइट बंद, शौचालयों में गंदगी जैसी समस्याएँ सामने आई है। ऐसा नहीं है कि बिहार सरकार के पास सरकारी स्कूलों की मरम्मत करवाने के लिए फंड की कमी है। इनके पास करोड़ों रूपए का फंड भी पड़ा है, लेकिन इस उपयोग नहीं किया जा रहा है।
क्लास में बिना लाइट के पड़ रहे बच्चे
शिक्षा विभाग ने इस बारे में कहा कि, जिला शिक्षा पदाधिकारी और प्रधानाध्यापकों के प्रशासनिक और वित्तीय मामलों में कोई निर्णय ना लेने के कारण अब तक बिहार के 75 हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों के अलग-अलग खातों में करीब 1400 करोड़ रुपये पड़े हुए हैं। शिक्षा विभाग ने राजधानी पटना के ही एक स्कूल का उदाहरण देते हुए कहा कि, विद्यालय की सभी कक्षाएं भरी हुई थी। बच्चों बेहद कम लाइट में ही पढ़ाई कर रहे थे। ऐसे में बच्चों की आँखों पर भी जोर आ सकता है। लेकिन स्कूल प्रशासन ने क्लास में एक बल्ब भी लगाना जरूरी नहीं समझा। जबकि उस स्कूल के छात्र और विकास खाते में 61 लाख रूपए जमा है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने इस बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए जिलाधिकारियों को पत्र लिखा और ऐसी समस्याओं का जल्द से जल्द निपटारा करने की मांग की है।