बिहार में बेतिया राज की भूमि के अतिक्रमण की खबर के बाद सनसनी मच गई है। इस मुद्दे को लेकर राज्य सरकार ने नए सिरे से जमीन की खोजने का प्रयास कर रही है और इसके लिए विशेष उपायों को अपनाया जा रहा है।
इस कारगर प्रक्रिया के अंतर्गत, जिन जिलों में बेतिया राज की जमीन है, वहां के अपर समाहर्ता को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है इस सम्मानित राज की जमीन के अभिलेखों को डिजिटलाइजेशन कराने की भी योजना है।
बेतिया राज की खाली जमीन और मंदिरों को दान में दी गई जमीन को विकसित करने का काम भी शुरू किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनहित में सेवाएं प्रदान करना है।
यूपी के कई जिले जैसे वाराणसी, गोरखपुर प्रयाग राज समेत कई दूसरे जिलों में भी इस राजघराने की जमीन है जिसे अतिक्रमित कर लिया गया है इसको भी मुक्त करना के लिए बिहार सरकार की तरफ से यूपी सरकार से पत्राचार किया जा रहा है बताया जा रहा है कि बिहार और यूपी में बेतिया राज की कुल 14 हजार एकड़ ज़मीन है, जिसमें से लगभग 8 हजार एकड़ की ज़मीन का सर्वे पूर्ण हो चुका है। इसके अलावा, बाकी के करीब 6 हजार एकड़ ज़मीन का सर्वे भी जारी है और इसका खतियान दुरुस्त किया जा रहा है।
बेतिया राज की जमीन के मामले मुकदमों में लंबित हैं और इसे संसाधित करने के लिए बिहार सरकार ने यूपी सरकार से सहायता मांगी है। इस प्रक्रिया में बेतिया राज की जमीन को सूचनापट्ट लगाकर सुरक्षित किया जा रहा है ताकि इसका सही और न्यायिक स्वरूप तय हो सके।