बिहार में आगामी चुनावों से पहले भाजपा ने यादव समुदाय को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया है, इसके लिए ‘यदुवंशी मिलन समारोह’ का आयोजन किया गया है। बिहार सरकार द्वारा हाल ही में किए गए जातिगत सर्वे में बताया गया है कि बिहार में सबसे ज्यादा आबादी यादवों की है, और इस पर भाजपा ने यादवों को लुभाने का काम करना शुरू किया है। इस अभियान का हिस्सा बनने के लिए, पार्टी ने बिहार में ‘यदुवंशी मिलन समारोह’ का आयोजन किया है।
इस समारोह का आयोजन मंगलवार को किया गया और इसका उद्देश्य यादव समुदाय को एकत्र करना था। पार्टी के एक प्रमुख नेता नित्यानंद राय भी इस समारोह में अतिथि के रूप में शामिल हुए और यादव समुदाय के सदस्यों के साथ बातचीत की।
भाजपा ने इस समारोह को ‘यदुवंशी मिलन समारोह’ कहा और इसे भगवान कृष्ण के वंशजों के त्योहार, गोवर्धन पूजा के अवसर पर आयोजित किया। सोशल मीडिया पर भी इस समारोह का असर देखने को मिला, जहां “यादव विद मोदी” जैसे हैशटैग्स ट्रेंड कर रहे थे।
इस समारोह के माध्यम से भाजपा ने यादव समुदाय को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किया है, जिससे आने वाले चुनावों में इस समुदाय का समर्थन प्राप्त कर सके। भाजपा चाहती है कि इस बार के चुनावों में यादव समुदाय से अधिक समर्थन प्राप्त करें और इससे पार्टी के लिए राजनीतिक फायदा हो।
इसके विरोध में, लालू प्रसाद यादव ने भाजपा पर यादव समुदाय के खिलाफ आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि जहां-जहां भाजपा की सरकार है, वहां-वहां यादव समुदाय को खंडित किया जा रहा है और उन्हें उनका अधिकार नहीं मिल रहा है। उन्होंने अपने वक्तव्य में यादव समुदाय के सदस्यों से यह अपील की है कि वे इस यादव विरोधी अभियान का सामना करें और अपने अधिकारों की रक्षा करें।
बिहार सरकार ने हाल ही में राज्य में जातिगत सर्वे को पूरा किया गया था। इस सर्वे में यादवों की आबादी सबसे ज्यादा लगभग 14 % बताई गई है। सर्वे के मुताबिक, राज्य में 3.6 फीसदी ब्राह्मण हैं। राज्य में राजपूतों की संख्या 3.45 फीसदी है। वहीं, बिहार में भूमिहारों की आबादी कुल जनसंख्या का 2.86 फीसदी है।
चुनाव से पहले इस तरह के समारोह और प्रयास आम हैं, जिनसे पार्टियों की राजनीतिक रणनीतियों में बदलाव आ सकता है। यह चुनावी प्रचार-प्रसार का हिस्सा भी है, जो समुदायों के बीच में यूथ और समर्थन का माहौल बनाए रखने का उद्देश्य रखता है।