बिहार में शुरू हो रहे चौथे कृषि रोडमैप का आयोजन हुआ है और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसका शुभारंभ किया है। इस मौके पर राज्य के कई मंत्री, अफसर, कृषि वैज्ञानिक और किसान शामिल हैं। बिहार में कृषि का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां लोग आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर हैं।
राज्यपाल राजेंद्र अरलेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ, कृषि, सहकारिता, उद्योग, वन, और पर्यावरण से जुड़े 12 विभागों के मंत्री इस उत्सव में शामिल हैं। इससे पहले बिहार ने पहले, दूसरे, और तीसरे कृषि रोडमैप का आयोजन किया है और इसमें विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख बदलाव किए गए हैं।
बिहार में कुल 93.60 लाख हेक्टेयर भूमि में से 79.46 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य हैं, और यहां के लोगों का 74 प्रतिशत आजीविका के लिए कृषि पर ही निर्भर हैं। राज्य के जीडीपी का करीब 19 से 20% योगदान कृषि से होता है। नीतीश कुमार ने कृषि रोडमैप लाने का निर्णय लिया है, जिससे किसानों को समृद्धि मिले और कृषि क्षेत्र में विकास हो।
पहले कृषि रोडमैप में बीज उत्पादन के साथ किसानों की उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास किया गया था, जिसके बाद बिहार ने चावल के उत्पादन में भी कामयाबी प्राप्त की। उसके बाद का कृषि रोडमैप 2012 में लागू किया गया और इसमें बिहार को कई पुरस्कार मिले, जैसे कि चावल और गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में।
दूसरे कृषि रोडमैप में ऑर्गेनिक खाद पर जोर दिया गया और किसानों को खेतों तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रयास किया गया। बिहार में हरित पट्टी की बढ़ोतरी के लिए भी प्रयास हुआ, लेकिन अभी भी हर खेत तक पानी पहुंचने का लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है। सरकार ने 2025 तक हर खेत तक पानी पहुंचाने का वादा किया है।
चौथे कृषि रोडमैप के शुभारंभ के साथ, बिहार का कृषि क्षेत्र और किसान समृद्धि की ऊँचाइयों की दिशा में बढ़ेगा, और राज्य को आर्थिक सुरक्षा में मदद मिलेगी।