बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। बहादुरगंज विधानसभा सीट पर राजद की दावेदारी को लेकर कांग्रेस के कद्दावर नेता तौसीफ आलम और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान के बीच बंद कमरे में हुई मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया है।
विधानसभा चुनाव की तैयारी
भले ही बिहार विधानसभा चुनाव में अभी एक साल से अधिक का समय बचा हो, लेकिन सीमांचल क्षेत्र में राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। लोकसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) को मिले झटके के बाद पार्टी ने अभी से बिसात बिछाना प्रारंभ कर दिया है और नेताओ पर डोरे डालने लगी है।
तौसीफ आलम और जेडीयू की नजदीकियाँ

जानकारी के अनुसार, चार बार बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे तौसीफ आलम जेडीयू का दामन थाम सकते हैं। तौसीफ आलम ने अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान से मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है। गुरुवार की रात को तौसीफ आलम के आवास पर जमा खान के साथ बैठकर खाना खाने की खबर ने इस चर्चा को और बल दिया है।
सांसद डॉ. जावेद की शिकायत
लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने सांसद डॉ. जावेद आजाद की शिकायत करने वाले तौसीफ आलम ने इस मुलाकात के बाद कांग्रेस से किनारा करते हुए जेडीयू में शामिल होने की संभावनाओं को हवा दे दी है। तौसीफ आलम के आवास पर जमा खान के साथ जिला परिषद चेयरमैन रुकैया बेगम और दर्जनों जिला परिषद सदस्य भी मौजूद थे।
तौसीफ आलम की राजनीतिक यात्रा
तौसीफ आलम लगातार चार बार बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं और उनकी नजदीकियाँ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी रही हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम के नेता अंजार नईमी ने उन्हें हरा दिया था। अब अंजार नईमी आरजेडी में शामिल हो चुके हैं और कांग्रेस-आरजेडी के गठबंधन के कारण इस सीट पर राजद की दावेदारी की संभावना बढ़ गई है।
मुलाकात की सफाई
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान को भोज पर आमंत्रित किए जाने को लेकर तौसीफ आलम ने सफाई दी कि यह केवल एक अनौपचारिक मुलाकात थी। उन्होंने कहा कि मंत्री जमा खान से उनकी पुरानी दोस्ती है और इसी कारण उन्हें भोजन पर आमंत्रित किया गया था।
कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन की चुनौती

तौसीफ आलम ने कांग्रेस सांसद डॉ. जावेद आजाद पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने डॉ. जावेद का विरोध इसलिए किया था क्योंकि वे क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहते थे। तौसीफ ने कहा कि कांग्रेस की जीत पार्टी की जीत थी, ना कि प्रत्याशी की। किशनगंज के मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट देकर जिताया, और इसी समर्थन ने पार्टी को जीत दिलाई।
संभावित राजनीतिक बदलाव
बिहार की राजनीति में इस तरह की मुलाकातें और गठबंधन बदलाव का संकेत देती हैं। अगर तौसीफ आलम जेडीयू में शामिल होते हैं, तो कांग्रेस को एक बड़ा झटका लग सकता है। इससे बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पर भी असर पड़ेगा।
बिहार की राजनीति में कांग्रेस के कद्दावर नेता तौसीफ आलम और जेडीयू के मंत्री जमा खान की मुलाकात ने राजनीतिक सरगर्मियों को बढ़ा दिया है। इस मुलाकात के बाद तौसीफ आलम के जेडीयू में शामिल होने की संभावना ने कांग्रेस को चिंता में डाल दिया है। अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति में क्या बदलाव आते हैं और इसका किस तरह का प्रभाव पड़ेगा।
बिहार की राजनीति में यह घटनाक्रम एक नए मोड़ की ओर इशारा कर रहा है, जहां कांग्रेस और जेडीयू के बीच तकरार और गठबंधन की संभावनाएं बनी हुई हैं। तौसीफ आलम की जेडीयू में संभावित एंट्री से बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में भी बड़े बदलाव की उम्मीद की जा सकती है।