बिहार में पुलों के गिरने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं और यह राज्य की बुनियादी ढांचा और निर्माण गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही हैं। हाल ही में सीवान जिले के दरौंदा प्रखंड के रामगढा में गंडक नहर पर बना एक छोटा पुल पानी आते ही टूट गया। इस घटना में कोई चोटिल नहीं हुआ, लेकिन लोगों की परेशानियां बरसात में बढ़ गई हैं। यह घटना बिहार के निर्माण कार्यों में फैली लापरवाही और भ्रष्टाचार की एक और मिसाल है।
सीवान की घटना
सीवान जिले के दरौंदा प्रखंड के रामगढा में गंडक नहर पर बना यह छोटा पुल पटेढ़ी बाजार और दरौंदा प्रखंड को जोड़ता था। इस पुल के टूटने से अब ग्रामीणों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा। यह पुल न केवल दैनिक आवागमन के लिए महत्वपूर्ण था, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक संपर्क के लिए भी बेहद जरूरी था। पुल टूटने के कारण बरसात के मौसम में लोगों की परेशानी और बढ़ गई है, क्योंकि उन्हें अब लंबा रास्ता तय करना पड़ेगा या नहर को पार करने के लिए वैकल्पिक साधनों का उपयोग करना पड़ेगा।
अररिया की घटना
सीवान की घटना से कुछ दिन पहले ही अररिया जिले के सिकटी प्रखंड क्षेत्र में एक पुल भरभराकर नदी में समा गया था। यह पुल अररिया के पड़किया घाट पर बकरा नदी पर बना था और इसके निर्माण में करोड़ों रुपये खर्च किए गए थे। पुल के टूटने का वीडियो भी सामने आया, जिसमें साफ दिख रहा था कि पुल के तीन पिलर बहकर नदी में समा गए थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की गुणवत्ता बेहद खराब थी और इसका निर्माण विभागीय लापरवाही और ठेकेदार की अनियमितताओं के कारण हुआ था। पुल की लागत 12 करोड़ रुपये बताई जा रही है और यह पुल अभी लोकार्पण भी नहीं हुआ था।
लापरवाही और भ्रष्टाचार

बिहार में पुलों के गिरने की घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण विभागीय लापरवाही और ठेकेदारों की अनियमितताएं हैं। ठेकेदार अक्सर निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग करते हैं और निर्माण की गुणवत्ता की अनदेखी करते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि पुल बनने के कुछ ही समय बाद टूट जाते हैं। सीवान और अररिया की घटनाएं इसी का उदाहरण हैं, जहां पुलों के निर्माण में गुणवत्ता की कमी और विभागीय निरीक्षण की अनदेखी साफ झलकती है।
भविष्य की चुनौतियाँ
बिहार सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वह इन घटनाओं से सबक लेकर भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोके। इसके लिए जरूरी है कि पुलों और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण में उच्चतम गुणवत्ता मानकों का पालन किया जाए। ठेकेदारों की चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए और निर्माण कार्यों की नियमित निरीक्षण किया जाए। इसके अलावा, दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
सारांश

बिहार में पुलों के गिरने की घटनाएं राज्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में फैली अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को उजागर करती हैं। सीवान और अररिया की घटनाएं स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि निर्माण कार्यों में लापरवाही और घटिया सामग्री का उपयोग कितनी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। राज्य सरकार को इन घटनाओं से सबक लेकर भविष्य में उच्च गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित करना होगा और दोषी ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी। केवल तभी बिहार के लोग सुरक्षित और टिकाऊ बुनियादी ढांचे का लाभ उठा सकेंगे।