बिहार शिक्षा विभाग ने एमएलसी संजय सिंह की पेंशन को रोकने का निर्णय किया है, जिससे सीपीआई और जेडीयू के बीच विवाद बढ़ा है।
बिहार में शिक्षा विभाग ने अपने अधिकारी केके पाठक के निर्देश पर यूनिवर्सिटी प्रोफेसर और सीपीआई से जुड़े एमएलसी संजय सिंह की पेंशन को रोक दिया है। संजय सिंह तिरहुत शिक्षक सीट से एमएलसी हैं और सीपीआई से जुड़े हैं। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, संजय सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर के बाहर धरना देने का ऐलान किया है।
एमएलसी संजय सिंह ने अब तक एक यूनिवर्सिटी शिक्षक संघ के महासचिव के रूप में कार्य किया है और उनकी पेंशन रोकना एक महत्वपूर्ण और उच्च पद पर रहने वाले व्यक्ति के लिए एक बड़ी आंतरिक समस्या हो सकती है। इससे वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद स्थिति में आ सकते हैं और इसे व्यक्तिगत और सामाजिक स्तर पर एक सीधी हमला मान सकते हैं।
संजय सिंह ने इस निर्णय को ‘तुगलकी फरमान’ बताया है, जिससे उनका विरोध स्पष्ट है। इस उपाधी पर इस प्रकार का निर्णय सध्या से गुजरा नहीं है और संजय सिंह ने यह दिखाने का ऐलान किया है कि वह इसे स्वीकार नहीं करेंगे।
यह निर्णय बिहार की राजनीतिक स्कीम को बढ़ा सकता है, क्योंकि संजय सिंह सीपीआई-जेडीयू गठबंधन के हिस्से हैं और उनका विरोध उनके नेतृत्व और समर्थन को घातक रूप से प्रभावित कर सकता है। इससे गठबंधन और सरकार के बीच आर्थिक और राजनीतिक विवाद बढ़ सकता है।
शिक्षा विभाग के इस निर्णय ने न केवल एक व्यक्ति के भविष्य को प्रभावित किया है, बल्कि बिहार की राजनीतिक स्थिति को भी गहराई से प्रभावित किया है। संजय सिंह की पेंशन को रोकने का यह निर्णय एक बड़े राजनीतिक विवाद की शुरुआत कर सकता है जो सीपीआई और जेडीयू के बीच तनाव का कारण बन सकता है।