बिहार में हाल ही में हुए घटनाक्रमों की खुली पोल सामने आ रही है, जो सीएम नीतीश कुमार के नेताओं और विधायकों के बीच खरीद-फरोख्त के मामलों पर सामने लायी गई है। यहां पार्टी के विधायक सुधांशु शेखर ने अपनी पार्टी के नेता पर आरोप लगाते हुए खरीद-फरोख्त के मामले का खुलासा किया है। इसमें उन्हें 10 करोड़ रुपये की रिश्वत और मंत्री पद की पेशकश की गई थी। इस प्रकार के आरोपों के बाद पटना के पुलिस उपाधीक्षक ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है।
शेखर ने अपनी प्राथमिकी में आरोप लगाया है कि उन्हें 10 करोड़ रुपये और मंत्री पद का ऑफर किया गया था, जो उन्होंने इंटरनेट के जरिए आया हुआ कॉल द्वारा प्राप्त किया था। उन्हें यह ऑफर इसलिए किया गया था क्योंकि वे महागठबंधन में जाने के लिए तैयार नहीं थे।
इसके अलावा, पुलिस उपाधीक्षक ने बताया कि इस मामले में शिकायतकर्ता ने विधायकों के खिलाफ किडनैप और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए हैं। उन्होंने इसे भारतीय दंड संहिता की प्रासंगिक धाराओं के तहत जांच के लिए दर्ज किया है।
संजीव कुमार, जेडीयू के नेता, ने इस आरोप का खंडन किया है और कहा है कि उन्हें नीतीश कुमार के नेताओं द्वारा बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनके विरुद्ध उत्पन्न किए गए आरोप बिना किसी सत्यापन या सबूत के हैं।
सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार ने हाल ही में बिहार में बहुमत हासिल कर लिया है, लेकिन इसके बाद भी सियासी हलचल जारी है। यहां पार्टी के अंदरीय विवादों और आरोपों का सामना करना पड़ रहा है, जो कि सीएम की सरकार को मुश्किल में डाल सकते हैं।
आपको बता दें कि सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली नई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की सरकार ने 12 फरवरी यानि सोमवार को बहुमत हासिल कर लिया। फ्लोर टेस्ट से पहले महागठबंधन के सबसे बड़े घटक राजद के तीन विधायक सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल हो गए थे।