बिहार में महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो गया है, जिसका फॉर्मूला तय कर दिया गया है। इसमें आरजेडी ने कांग्रेस को कुछ सीटें दी हैं, जिसके चलते पूर्णिया सीट भी कांग्रेस के हाथों से चली गई है। यह मामला राजनीतिक मामलों में बड़ी हलचल मचा रहा है।
महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा करते हुए, इसे लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। यहाँ पर राजनीतिक दलों के नेता ने बताया कि किस दल को कौन-कौन सी सीटें मिली हैं। इसके अनुसार, सीपीआई को बेगूसराय सीट मिली है, जबकि सीपीएम को खगड़िया सीट मिली है। वहीं, भाकपा-माले को आरा, काराकाट और नालंदा की सीटें मिली हैं। कांग्रेस को किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चंपारण, पटना साहिब, सासाराम, महाराजगंज और समस्तीपुर की सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है।
पूर्णिया सीट का बंटवारा कांग्रेस के हाथों से होने से, पप्पू यादव की आशा के बारे में खत्म हो गई है। पप्पू यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ने की बात कही थी, लेकिन अब इस संदर्भ में कोई संभावना नहीं दिख रही है। इसके बाद, बेगूसराय सीट सीपीआई के हाथों में हो गई है, इसलिए कन्हैया कुमार की भी यहाँ से चुनाव लड़ने की आशा का अंत हो गया है।
महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा हो जाने से पूर्णिया जिले के राजनीतिक माहौल में भी उत्साह दिखाई दे रहा है। अब लोगों को देखने को मिलेगा कि किस उम्मीदवार को वे समर्थन देते हैं और किसके पक्ष में ज्यादा मतदान होता है। इससे स्पष्ट है कि आगामी चुनाव में यहाँ का प्रदर्शन किस पक्ष के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है।
इस प्रकार, बिहार में महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा निर्णयक हो चुका है, जिससे राजनीतिक माहौल में चर्चा और उत्साह बढ़ा है। अब यह देखना बाकी है कि चुनाव में किस पक्ष को कितना समर्थन मिलता है और किस उम्मीदवार का प्रदर्शन कितना प्रभावशाली होता है।