बिहार में लगातार पुलों के गिरने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हर कुछ दिनों में किसी न किसी पुल के गिरने की खबर सामने आ ही जाती है। वर्तमान में मानसून के चलते यह घटनाएं और भी तेजी से बढ़ रही हैं। बीते 15 दिनों में बिहार में कुल 10 पुलों के ढहने या पानी में बहने की खबरें सामने आई हैं। इन घटनाओं ने न सिर्फ जन-धन की हानि की है, बल्कि राज्य के प्रशासन और निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका
बिहार में पुलों के लगातार गिरने की घटनाओं के कारण सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में राज्य में बने सभी छोटे और बड़े पुलों के सरकारी निर्माण का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग की गई है। याचिका में यह भी कहा गया है कि, ‘पिछले दो सालों में दो बड़े पुल और कई छोटे पुल बनते ही या फिर निर्माण के दौरान ढह गए हैं।’ याचिका में पिछले दो सालों में हुई पुलों की घटनाओं का जिक्र किया गया है। याचिका के अनुसार, पिछले दो सालों में बिहार में 12 पुलों के गिरने की घटना सामने आई है।
सारण में पुल गिरने की घटना
सारण जिले में भी एक 15 साल पुराना पुल गिर गया है। जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि यह पुल आज सुबह गिरा। राहत की बात यह है कि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। गंडकी नदी पर स्थित यह छोटा पुल सारण के कई गांवों को पड़ोसी जिला सिवान से जोड़ता था। जिला प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि पुल के ढहने के कारण का अभी पता नहीं चला है। जांच के बाद इसके कारणों के बारे में बताया जाएगा।
सीवान में गिरे थे 2 पुल
कल ही बिहार के सीवान जिले में दो पुल गिर गए थे। इन पुलों में से एक पुल महाराजगंज के देवरिया पंचायत में था और दूसरा पुल महाराजगंज प्रखंड के नौतन सिकंदरपुर में स्थित था। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये दोनों पुल लंबे समय से बिना मरम्मत के थे, जिसके कारण यह हादसा हुआ। इन घटनाओं ने राज्य के पुल निर्माण और रखरखाव में हो रही लापरवाहियों को उजागर किया है।
पुलों के गिरने के कारण
बिहार में पुलों के गिरने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें प्रमुख कारण हैं:
खराब निर्माण सामग्री: कई बार ठेकेदार और संबंधित अधिकारियों द्वारा निर्माण में घटिया सामग्री का उपयोग किया जाता है।
निर्माण में लापरवाही: निर्माण के दौरान गुणवत्ता मानकों का पालन न करने के कारण पुल कमजोर हो जाते हैं।
प्राकृतिक आपदाएं: मानसून के दौरान बाढ़ और भारी बारिश के कारण भी पुल कमजोर हो जाते हैं और ढह जाते हैं।
रखरखाव की कमी: पुराने पुलों का नियमित रखरखाव न होने के कारण भी ये पुल कमजोर होकर गिर जाते हैं।
जनहित याचिका में क्या मांगें
सुप्रीम कोर्ट में दायर जनहित याचिका में कई महत्वपूर्ण मांगें की गई हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
स्ट्रक्चरल ऑडिट: राज्य में बने सभी छोटे और बड़े पुलों का स्ट्रक्चरल ऑडिट कराया जाए ताकि उनकी वर्तमान स्थिति का पता चल सके।
निर्माण गुणवत्ता की जांच: पुल निर्माण में उपयोग की गई सामग्री और निर्माण प्रक्रिया की जांच की जाए ताकि गुणवत्ता मानकों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
जिम्मेदारी तय करना: पुलों के गिरने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
रखरखाव योजना: पुराने और नए पुलों के नियमित रखरखाव के लिए एक ठोस योजना बनाई जाए।
बिहार में पुलों के गिरने की घटनाएं राज्य के निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। इन घटनाओं ने राज्य के प्रशासन और जनता को हिला कर रख दिया है। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका ने इस गंभीर मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर उठाया है और उम्मीद है कि इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में क्या कदम उठाता है और बिहार में पुलों की सुरक्षा और गुणवत्ता कैसे सुनिश्चित की जाती है।