बिहार में शिक्षा विभाग ने हाल ही में छुट्टियों का कैलेंडर जारी किया है, जिसमें कई त्योहारों की छुट्टियां खत्म कर दी गई हैं। इस कैलेंडर के अनुसार, जन्माष्टमी, रक्षाबंधन, रामनवमी, शिवरात्रि, तीज, वसंत पंचमी, और जिवितपुत्रिका की छुट्टियां अब स्कूलों में नहीं होंगी। इसके साथ ही, ईद-बकरीद की 3-3 और मुहर्रम की 2 दिन की छुट्टियां भी दी गई हैं। शिक्षकों के लिए गर्मी की छुट्टी भी रद्द कर दी गई है, लेकिन बच्चों की छुट्टी बरकरार रहेगी।
नई अवकाश तालिका के अनुसार, शिक्षकों को 60 दिन की छुट्टी में से 38 दिन स्कूल आना होगा। इससे यह तात्पर्य है कि शिक्षकों को केवल 22 दिन की छुट्टी मिलेगी। इसके साथ ही, 1 मई को मजदूर दिवस की छुट्टी भी रद्द कर दी गई है और 2 अक्टूबर को भी छुट्टी नहीं होगी।
इस निर्णय के परिणामस्वरूप, छात्रों को हिन्दू त्योहारों में स्कूल जाना होगा, जबकि वे मुस्लिम पर्वों में छुट्टी मना सकेंगे। यह निर्णय हिन्दू समुदाय के बीच विरोध का कारण बन गया है और भाजपा ने इसे तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए बताया है कि इससे यह साबित हो रहा है कि बिहार की सरकार हिन्दू विरोधी है।
इस पर भाजपा ने तंज बजाते हुए कहा है कि ये नए निर्णय “तुष्टिकरण के सरदार-बिहार के कुर्सी कुमार” की ओर इशारा कर रहे हैं। वे इसे हिंदू समुदाय के साथ खेलने का प्रयास मान रहे हैं और तालीम से जुड़े सभी स्तरों पर हिंदू छात्रों के हक की उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं।
इस निर्णय के पीछे राजनीतिक रंग दिखाई दे रहा है और लोगों के बीच मतभेदों को बढ़ा रहा है। विभिन्न समूह और संगठनों ने इस निर्णय के खिलाफ प्रदर्शन और प्रतिवाद का एलान किया हैं, जिससे समाज में तनाव बढ़ा है।