बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने एक बार फिर से विवादों में फंस गई है, इस बार शिक्षा विभाग के एक नवाचारी कदम के कारण। मुंगेर में आयोजित संस्कृत पेपर में इस्लाम से जुड़े सवाल पूछे जाने के मामले में हंगामा है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इस मामले पर सोशल मीडिया पर अपनी चिंता व्यक्त की हैं, कहते हैं कि अब संस्कृत का भी इस्लामीकरण कर दिया गया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद, स्कूलों में बच्चों की प्रदर्शनी की जा रही है, जिसका मकसद उनकी शिक्षा में सुधार करना है। इसके तहत, मासिक स्तर पर परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं और इस क्रम में संस्कृत पेपर में इस्लाम से जुड़े प्रश्नों को जांचा जा रहा है।
गिरिराज सिंह ने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताते हुए कहा है कि बिहार सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है और संस्कृत पेपर में इस्लाम के प्रश्न पूछकर हिन्दू धर्म और संस्कृति को बिगड़ने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि चाहे वह किसी भी जाति से हों अगड़ा हों या पिछड़ा अगर एकजुट होकर विरोध नहीं किया तो आने वाले दिनों में हर आदमी को नमाज पढ़ने जाना पड़ेगा लेकिन नमाज पढ़ना है तो नीतीश कुमार जाकर पढ़ लें हमारे ऊपर इस तरह से प्रहार न करें। नीतीश कुमार की सरकार संस्कृत का इस्लामीकरण कर रही है। हमलोग गांव गांव जाकर संस्कृत के इस्लामीकरण का विरोध करेंगे। उन्होंने विधायक के रूप में इस मामले को असेंबली में उठाने की कड़ी चेतावनी दी है।
दरअसल मुंगेर में 26 अक्टूबर को ली गई संस्कृत परीक्षा में जो प्रश्न पूछे गए, उनमें से कुछ इस्लामी सवालों से जुड़े थे। एक प्रश्नपत्र में 10 सवाल इस्लाम के रिति रिवाजों के बारे में पूछा गया है। संस्कृत बोर्ड के अध्यक्ष कहते हैं कि ये सिलेबस में है। इस परीक्षा में छात्रों से इस्लाम के त्योहारों, जैसे कि ईद, के बारे में प्रश्न पूछे गए, जिसने सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं। संस्कृत पेपर में छात्रों से इफ्तार का मतलब, रोजा का समय, फितरा का क्या मतलब है, ईद कैसा त्योहार है और इसे मनाने के तरीके के बारे में पूछा गया था। यह सारे प्रश्न मुस्लिम धर्म से जुड़े थे और इसके बारे में विवाद उत्पन्न हो रहा है।
इस मामले में लोगों ने अपनी आपत्ति जताते हुए यह सवाल उठाया है कि संस्कृत पेपर में इस्लाम के प्रश्नों को क्यों शामिल किया गया, जिससे विवाद पैदा हो रहा है। इस मुद्दे पर बीजेपी ने भी कड़ी नाराजगी जताई है और कहा है कि यह बिहार सरकार की गवाही है कि वह छात्रों के साथ धर्मिक भेदभाव कर रही है।
इस समय सामाजिक मीडिया पर इस मामले पर बहुत ही गहरा विचार किया जा रहा है और लोग यह सवाल कर रहे हैं कि क्या संस्कृत पेपर में इस्लाम के प्रश्नों को पूछना उचित है या नहीं।