बिहार में एक महत्वपूर्ण मामला सामने आया है, जिसमें एक लापरवाह महिला थानेदार के कारण शराब माफिया को आसानी से जमानत मिल गई है। यह मामला रोहतास के काराकाट थाना से जुड़ा हुआ है, जहां पुलिस ने साल 2020 में एक ट्रक पर लदे 10 हजार लीटर शराब को पकड़ा था।
इस मामले में पटना के रहने वाले सुनील कुमार की गिरफ्तारी हुई थी, लेकिन उसके बाद पुलिस के उदासीन रवैया के कारण 60 दिन के अंदर जब कोर्ट में पुलिस द्वारा किसी प्रकार का कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया, तो आरोपी शराब कारोबारी सुनील कुमार को धारा 167 का लाभ देते हुए सासाराम कोर्ट ने जमानत दे दी।
काराकाट थानेकी पुलिस द्वारा जब इस भारी मात्रा में शराब की पकड़ हुई, तो रोहतास के तात्कालिन एसपी ने पुलिस टीम को सम्मानित भी किया था, लेकिन समय पर चार्जशीट दाखिल नहीं किया गया, जिसका लाभ शराब माफिया को मिल गया। पूरे मामले में तत्कालीन एसआई नेहा कुमारी की लापरवाही सामने आने के बाद डीआईजी नवीन चंद्र झा के निर्देश पर रोहतास एसएसपी विनीत कुमार ने नेहा कुमारी को तत्काल निलंबित कर दिया है। नेहा कुमारी फिलहाल नोखा के बघैला गोपी की थानाध्यक्ष के पद पर तैनात थी।
इस मामले में आरोपी सुनील कुमार के वकील आशुतोष कुमार चौबे ने बताया कि उनका मुवक्किल निर्दोष है और इसी कारण गिरफ्तारी के 60 दिनों के बाद भी पुलिस द्वारा किसी प्रकार का कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया। इसके आधार पर, कानूनी प्रावधानों के अनुसार न्यायालय ने उनके मुवक्किल को जमानत मिलाई है।
इस सामग्री में, सरकार का एक ओर शराब माफियों पर कड़ा कार्रवाई करने का प्रयास हो रहा है, जबकि दूसरी ओर पुलिस की लापरवाही के कारण शराब माफिया आसानी से जमानत प्राप्त करके बाहर घूम रहे हैं।