बिहार : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की गाड़ी के इंश्योरेंस फेल होने की खबर ने बिहार में चर्चा को चरम पर पहुंचा दिया है। नीतीश कुमार, जो सहरसा जिले के दौरे पर थे, उनकी गाड़ी का इंश्योरेंस पिछले पांच साल से उस गाड़ी का इंश्योरेंस नहीं हुआ है बिना इंश्योरेंस की गाड़ी से चलना कानूनी रूप से अवैध है और इस पर कानूनी करवाई हो सकती है।
पत्रकारों ने रिपोर्ट किया है कि2017 में इस बुलेटप्रूफ सफारी गाड़ी को खरीदा गया था. उसका पॉल्यूशन सर्टिफिकेट सही है. लेकिन गाड़ी का इंश्योरेंस 2018 से ही फेल है, जिससे सामान्य लोगों को भी आपत्ति हो रही है।
इस खबर ने उत्तराधिकारियों और सामाजिक कर्मियों के बीच विवाद को उत्तेजित किया है, क्योंकि ऐसा एक आम नागरिक के लिए करना कानूनी दृष्टिकोण से गलत है। विशेषज्ञों का कहना है कि 2019 में लागू हुए मोटर वाहन कानून के तहत, इंश्योरेंस पॉलिसी के बिना गाड़ी चलाना अवैध है. ऐसे मामलों में पहली बार 2 हजार रूपये का जुर्माना और 3 साल की कैद हो सकती है. दूसरी बार पकड़े जाने पर जुर्माना राशि 4 हजार रूपये हो सकती है |
इस खबर में आए तथ्यों के अनुसार, नीतीश कुमार की गाड़ी एक बुलेटप्रूफ टाटा सफारी है जिसमें बहुत अच्छी सुरक्षा की सुविधाएं हैं. इस गाड़ी के नीचे हैंडग्रेनेड विस्फोट होने पर भी यात्री सुरक्षित रह सकते हैं | दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहरसा जिले के पंचगछिया गांव में गये थे | वे बाहुबली आनंद मोहन के दादा और चाचा की प्रतिमा का अनावरण करने और आनंद मोहन की मां से आशीर्वाद लेने उनके गांव गये थे. वैसे तो नीतीश कुमार हेलीकॉप्टर से पंचगछिया गये थे लेकिन हेलीपैड से प्रतिमा स्थल और आनंद मोहन के घर जाने-आने के लिए पटना से उनकी खास बुलेटप्रूफ गाड़ी सहरसा गयी थी. नीतीश कुमार के लिए BR01CJ-0077 नंबर की सफारी गाड़ी भेजी गयी थी. हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद नीतीश कुमार इसी गाड़ी में बैठे थे |
वही बिहार पुलिस की तरफ से किसी भी प्रमाण पर इस गाड़ी के इंश्योरेंस की जाँच नहीं की जा रही है, जिससे सवाल उठ रहा है कि क्या मुख्यमंत्री के लिए कानूनी नियमों में कोई छूट है। इस घटना ने यह भी दिखाया है कि क्या बिहार पुलिस खुद को सुरक्षा या आदर्श के लिए उच्च व्यक्तियों को चालान काटने में हिचकिचा रही है। नागरिकों में इस घटना के परिस्थितियों पर आलोचना हो रही है, और कुछ लोग यह पूछ रहे हैं कि क्या ऐसा करने पर मुख्यमंत्री को कोई कानूनी करवाई का खतरा है या उन्हें कोई दंड दिया जाएगा।
इस खबर ने सामाजिक मीडिया पर भी चर्चा को गरमा-गरम कर दिया है, और लोग यह पूछ रहे हैं कि क्या ऐसा करना यह सिद्ध करता है कि कुछ व्यक्तियों को कानूनी नियमों का अधिकार होता है जबकि दूसरों को नहीं।
इस घटना ने सामान्य लोगों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आपत्ति को बढ़ा दिया है, और उन्हें कानूनी दृष्टिकोण से जाँच करने की मांग की जा रही है।