ब्रिटेन के दूसरे सबसे बड़े शहर बर्मिंघम के दिवालिया हो जाने के पीछे कुछ कारण हैं, जिन्होंने इस घोषणा को हैरान कर दिया है:
1. वेतन दावें:- बर्मिंघम शहर में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन दावों में भारी बढ़ोतरी हुई है, जिससे शहर के आर्थिक स्थिति पर दबाव पड़ा है। इसका परिणामस्वरूप शहर के वित्तीय बजट में कमी हुई है और यह समस्या और भी गंभीर हो गई है।
2. बजटीय डेफिसिट:- बर्मिंघम सिटी काउंसिल द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष में शहर के बजट में करीब 109 मिलियन डॉलर की कमी हो रही है। इसके अलावा, शहर को 650 मिलियन पाउंड (करीब 68 अरब रुपये) से लेकर 760 मिलियन पाउंड (करीब 79 अरब रुपये) तक के वेतन दावों का सामना करना पड़ रहा है।
3. वित्तीय संकट:- शहर में कारोबार की प्रतिक्रिया कम हो रही है और आर्थिक हालात बिगड़ गए हैं, जिससे शहर की वित्तीय स्थिति में खतरा है।
4. फंड कटौती:- काउंसिल के अधिकारियों के अनुसार, बर्मिंघम में कंजर्वेटिव सरकार द्वारा 1 बिलियन पाउंड के फंड में कटौती की गई है, जिससे शहर की आर्थिक स्थिति में और भी बुरी हालतें बन गई हैं।
5. चुनौतियाँ:- बर्मिंघम सिटी काउंसिल अब इन वित्तीय संकटों का सामना कर रहा है और शहर को कारोबार के लिए नए उपाय खोजने में मुश्किलें आ रही हैं
6. कारोबार और रोजगार की कमी: शहर में कारोबार और रोजगार की कमी के कारण आर्थिक हालात कमजोर हैं, जिससे वित्तीय स्थिति और भी बुरी हो रही है।
7. सत्तारूढ़ पार्टी के आरोप:- शेरोन थॉम्पसन ने सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी पर आरोप लगाया है कि वह बर्मिंघम में फंड कम करके इस समस्या को गंभीर बना रही है।
11 लाख की आबादी वाले इस शहर ने खुद को दिवालिया घोषित किये जाने के बाद जरूरी सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी तरह के खर्चों पर रोक लगा दी है। शहर में काम करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर भी रोक लगी हुई है। बर्मिंघम सिटी काउंसिल के अधिकारियों की तरफ से जारी नोटिस में बताया गया है कि अरबों रुपये की सालाना बजटीय डेफिसिट के कारण यह कदम उठाना पड़ा।
इस समस्या को सुलझाने के लिए शहर के काउंसिल और सरकारी अधिकारियों को कठिनियों का सामना करना पड़ रहा है और यह एक महत्वपूर्ण वित्तीय चुनौती बन चुका है।