भारत ने अपने अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर चुराया है, जब इसरो ने घोषित किया कि उनका अपना स्पेस स्टेशन बनेगा। इससे भारत दुनिया के स्पेस जगत में अमेरिका और रूस के बाद तीसरे देश की सूची में शामिल हो जाएगा। चंद्रयान मिशन के सफलतापूर्वक पश्चिमी दुनिया को छोड़ते हुए इसरो ने यह निर्णय लिया है कि वे स्वयं एक अंतरिक्ष स्टेशन की शुरुआत करेंगे और इसे 2028 तक स्थापित करेंगे।
भारत का स्वदेशी स्पेस स्टेशन इसरो के अंतर्गत आने वाले स्पेस मिशन्स का हिस्सा बनेगा, जिसमें 2024 में गगनयान मिशन भी शामिल होगा। इसके साथ ही, इसरो ने अपने भविष्य के रोडमैप को तैयार किया है, जिसमें स्वदेशी रॉकेट्स और लूनर मिशन्स को लेकर अनेक योजनाएं शामिल हैं।
स्पेस स्टेशन तैयारी की पहली फेज के तहत, भारत का स्वदेशी स्पेस स्टेशन धरती से करीब 120 से 140 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित होगा। इसमें कुल तीन यात्री रह सकेंगे और इसे एक आलोकप्रद स्थान माना जाएगा जो विश्व भर के वैज्ञानिकों के लिए एक सूचना केंद्र के रूप में कार्य करेगा।
स्वदेशी स्पेस स्टेशन की तैयारी में इसरो ने 2028 तक का लक्ष्य रखा है और उसके बाद खुद की रॉकेट तैयार करके अंतरिक्ष स्टेशन की शुरुआत करने का प्रयास करेगा। इसके साथ ही, इसरो ने अपने रोडमैप के तहत बहुत से मिशन्स की योजना बनाई है, जिनमें लूनर मिशन्स भी शामिल हैं।
इसरो ने अपने रोडमैप-2047 के अंतर्गत स्पेस स्टेशन की तैयारी करने का काम शुरू किया है और इसका मुख्य उद्देश्य 2028 तक इंडियन स्पेस स्टेशन को स्थापित करना है। यह बहुत ही उत्साही करने वाली खबर है कि भारत अब अपना अंतरिक्ष स्टेशन बना रहा है और इससे भारत अंतरराष्ट्रीय स्पेस में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।इसके साथ ही, 2024 में इसरो के 10 मिशनों की तैयारी हो रही है, जो बहुत ही रोमांचक और महत्वपूर्ण होंगे। गगनयान मिशन, नान ह्यूमन फ्लाइट, स्थानीय सैटेलाइट्स और निसार मिशन समेत ये मिशन भारत को अंतरिक्ष तक पहुंचाने में मदद करेंगे।
इस प्रयास से भारत ने स्वदेशी तकनीक और साइंस में नए क्षेत्रों में कदम से दुनिया को दिखा दिया है कि यह एक गर्वनीय खिलवार है। इससे भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक महत्त्वपूर्ण स्थान मिलता है और इससे देश की तकत और उच्चता को मजबूती मिलेगी।