C2+50% फार्मूला एक प्रकार का स्वामीनाथन फार्मूला है जिसके तहत किसानों की उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित किया जाता है। इस फार्मूले के अनुसार, फसल की औसत लागत (C2) में 50% और उससे अधिक अतिरिक्त धन देने की बात की जाती है। इसमें फसल उत्पादन की सभी लागतों को शामिल किया जाता है, जिसमें जमीन का किराया, ब्याज, मजदूरी, बीज, खाद, ईंधन, और सिंचाई आदि शामिल होते हैं।
1. A2: नकदी खर्च जैसे कि बीज, रसायन, मजदूरी, खाद, ईंधन, और सिंचाई का खर्च।
2. A2+FL: फसल की उत्पादन के लिए परिवार के सदस्यों के श्रम की अनुमानित लागत।
3. C2: व्यापक लागत, जिसमें जमीन का किराया, और अन्य खेती से संबंधित खर्च शामिल होते हैं।
स्वामीनाथन आयोग ने C2 में 50% जोड़कर फसल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय की थी। इसका मतलब है कि किसान को उसकी फसल का दाम कम से कम इस न्यूनतम समर्थन मूल्य से मिलना चाहिए, चाहे बाजार में फसल का मूल्य कितना भी कम क्यों न हो।
यह फार्मूला किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य का निर्धारण करने में मदद करता है ताकि वे अपनी फसलों को बेचते समय नुकसान नहीं उठाएं। इसका मतलब है कि चाहे बाजार में फसल का दाम गिर भी जाए, किसानों को उनकी फसलों के लिए एक निश्चित मूल्य मिलेगा।
इसे एक उदाहरण के रूप में समझें: अगर किसान की फसल की औसत लागत C2 ₹1000 है, तो C2+50% फार्मूले के अनुसार वे ₹1500 प्रति क्विंटल का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त करेंगे।
हालांकि, सरकार का दावा है कि C2+50% फार्मूला के अनुसार MSP का प्रदान करना आर्थिक रूप से असंभव है। उनका कहना है कि इसका पालन करने से खाद्य सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में नुकसान हो सकता है।
साथ ही, किसान नेताओं और विशेषज्ञों का मानना है कि C2+50% फार्मूला उचित है और किसानों को उनकी सही मूल्य मिलनी चाहिए। उनका कहना है कि सरकार को किसानों के हित में कदम उठाने के लिए इस फार्मूले का पालन करना चाहिए।
इस प्रकार, C2+50% फार्मूला किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और इस पर सरकार और किसानों के बीच बहस जारी है।