हाल ही में भारत ने कंबोडिया में बंधक बनाए गए 360 भारतीयों को सुरक्षित निकालकर अपनी विदेश नीति और नागरिक सुरक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। यह ऑपरेशन इंडियन एंबेसी द्वारा चीनी हैंडलर्स के नियंत्रण से इन भारतीयों को छुड़ाने के लिए किया गया था। इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर दुनिया के सामने भारत की ताकत और उसके नागरिकों की सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को साबित कर दिया है।
कैसे फंसे थे भारतीय?

भारतीय नागरिकों को धोखेबाज जॉब प्रोवाइडर्स ने नौकरी का लालच देकर कंबोडिया बुलाया था। इन्हें उच्च वेतन और बेहतर जीवन स्तर का वादा किया गया था। जब ये लोग कंबोडिया पहुंचे, तो उन्हें बंधक बना लिया गया और उनसे जबरन काम करवाया गया। इन भारतीयों को चीनी हैंडलर्स द्वारा नियंत्रित किया जा रहा था, जो उन्हें प्रताड़ित भी कर रहे थे।
रेस्क्यू ऑपरेशन की योजना और क्रियान्वयन

कंबोडिया में भारतीय दूतावास को इन धोखेबाज जॉब प्रोवाइडर्स की खबर मिली थी। दूतावास ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कंबोडियाई अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित किया। रेस्क्यू ऑपरेशन 20 मई को सिहानोकविले में जिनबेई-4 नामक जगह पर शुरू किया गया। इस ऑपरेशन के दौरान 360 भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया, जिनमें से 60 भारतीय नागरिकों का पहला बैच नाम पेन्ह भेजा गया।
एडवाइजरी जारी की गई

रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि नौकरी के लिए कंबोडिया जाने वाले भारतीय नागरिक केवल विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा अनुमोदित अधिकृत एजेंटों के माध्यम से ही रोजगार सुरक्षित करें। यह एडवाइजरी इसलिए जारी की गई है ताकि भविष्य में भारतीय नागरिक ऐसी धोखाधड़ी और प्रताड़ना से बच सकें।
पीड़ितों का अनुभव
रेस्क्यू किए गए भारतीयों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्हें नौकरी का झांसा देकर बुलाया गया और फिर बंधक बना लिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार उनसे जबरन काम करवाया गया और प्रताड़ित किया गया। इनमें से कई पीड़ितों ने मानसिक और शारीरिक यातनाएं झेली हैं।
भारत सरकार का रुख
भारत सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया और तेजी से कार्रवाई की। विदेश मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने लगातार स्थिति की निगरानी की और सुनिश्चित किया कि सभी भारतीय नागरिक सुरक्षित वापस आ सकें। यह ऑपरेशन भारत की विदेशी नीति और उसकी सुरक्षा प्रणाली की ताकत को दर्शाता है।
विदेश नीति की सफलता
कंबोडिया में इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन ने भारत की विदेश नीति और उसकी सुरक्षा प्रणाली की सफलता को साबित किया है। यह दिखाता है कि भारत न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
भविष्य के लिए सावधानियाँ
इस घटना के बाद भारतीय दूतावास ने सभी भारतीय नागरिकों से अपील की है कि वे विदेश में नौकरी के प्रस्तावों के प्रति सतर्क रहें। उन्हें केवल MEA द्वारा अनुमोदित अधिकृत एजेंटों के माध्यम से ही रोजगार के प्रस्ताव स्वीकार करने चाहिए। इसके अलावा, किसी भी संदेहास्पद गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करें ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
कंबोडिया में 360 भारतीयों का सफल रेस्क्यू ऑपरेशन भारत की विदेश नीति और उसकी सुरक्षा प्रणाली की एक महत्वपूर्ण सफलता है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय ने इस ऑपरेशन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क और जागरूक रहने की आवश्यकता है।