दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट (IGI) पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) ने एक ऐसा मामला पकड़ा जिसने सभी को चौंका दिया। एक 24 साल का युवक, गुरु सेवक सिंह, 67 साल के बुजुर्ग के रूप में कनाडा जाने की कोशिश कर रहा था। इस युवक ने फर्जी पहचान और जाली पासपोर्ट का सहारा लिया, लेकिन CISF की मुस्तैदी और सतर्कता ने उसकी योजना को विफल कर दिया।
घटना का विवरण
घटना 18 जून की शाम 5:20 बजे की है जब IGI एयरपोर्ट के टर्मिनल-3 के चेक-इन क्षेत्र में CISF के कर्मचारी यात्री प्रोफाइलिंग और व्यवहार जांच कर रहे थे। इस दौरान एक व्यक्ति, जिसने अपना नाम रशविंदर सिंह सहोता बताया और खुद को 67 वर्ष का बुजुर्ग बताया, की गतिविधियों ने सुरक्षाकर्मियों का ध्यान आकर्षित किया।
सुरक्षाकर्मियों को इस व्यक्ति की शारीरिक बनावट, आवाज और त्वचा की रंगत को देखकर संदेह हुआ। जब उसके पासपोर्ट की जांच की गई, तो पाया गया कि उसकी उम्र पासपोर्ट में दिए गए विवरण से मेल नहीं खा रही थी। यह व्यक्ति बालों और दाढ़ी को सफेद रंगवाकर और चश्मा पहनकर बूढ़ा दिखने की कोशिश कर रहा था, लेकिन CISF की अनुभवी नजरों से उसकी चालाकी छिप नहीं पाई।
गहन जांच
संदेह बढ़ने पर CISF ने उसे प्रस्थान क्षेत्र में एक चेकिंग पॉइंट पर ले जाकर गहन तलाशी ली। उसके मोबाइल फोन की जांच के दौरान, सुरक्षाकर्मियों को 10 जून 2000 को जन्मे गुरु सेवक सिंह के नाम से एक अन्य पासपोर्ट की सॉफ्ट कॉपी मिली। यह सबूत मिलते ही मामला और भी पुख्ता हो गया कि यह व्यक्ति फर्जी पहचान और जाली पासपोर्ट के सहारे यात्रा करने की कोशिश कर रहा है।
आगे की पूछताछ में, यात्री ने स्वीकार किया कि उसका असली नाम गुरु सेवक सिंह है और वह वास्तव में 24 साल का है। उसने यह भी बताया कि वह सहोता के नाम से जारी पासपोर्ट पर यात्रा कर रहा था। इस खुलासे ने यह साफ कर दिया कि उसने पहचान छिपाने और गलत तरीके से विदेश जाने का प्रयास किया था।
संभावित कारण और निहितार्थ
यह मामला मानव तस्करी और फर्जी पहचान के संदर्भ में बेहद गंभीर है। गुरु सेवक सिंह ने यह कदम क्यों उठाया, इसके पीछे कई संभावित कारण हो सकते हैं। यह संभव है कि वह बेहतर जीवन की तलाश में कनाडा जाना चाहता हो, लेकिन वैध तरीकों से यात्रा नहीं कर पा रहा था। इसके अलावा, यह भी संभव है कि वह किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल हो और अपने असली पहचान को छिपाना चाहता हो।
CISF के एक अधिकारी ने बताया कि यह मामला जाली पासपोर्ट और फर्जी पहचान से जुड़ा होने के कारण, इसे दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया है। दिल्ली पुलिस अब इस मामले की विस्तृत जांच करेगी और यह पता लगाने की कोशिश करेगी कि क्या यह व्यक्ति किसी बड़े गिरोह या मानव तस्करी नेटवर्क का हिस्सा है।
सुरक्षाकर्मियों की सतर्कता
इस घटना ने एक बार फिर से यह साबित कर दिया कि एयरपोर्ट पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की सतर्कता और प्रोफेशनलिज्म कितनी महत्वपूर्ण है। अगर CISF के जवानों ने इस व्यक्ति की गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया होता, तो संभव है कि वह सफलतापूर्वक कनाडा पहुंच जाता। इस घटना से यह भी साफ होता है कि हवाई अड्डों पर सुरक्षा व्यवस्था को और भी कड़ा करने की जरूरत है, ताकि इस तरह के फर्जी मामलों को रोका जा सके।
गुरु सेवक सिंह का यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि कितने लोग बेहतर जीवन की तलाश में गलत रास्तों का चुनाव करते हैं। हालांकि, यह भी आवश्यक है कि सुरक्षाकर्मी और संबंधित एजेंसियां ऐसे मामलों पर सतर्क रहें और उन्हें सख्ती से निपटें। इस घटना से यह भी साबित होता है कि कानून के हाथ लंबे होते हैं और कोई भी अपराधी बच नहीं सकता, चाहे वह कितना ही चतुर और चालाक क्यों न हो। इस प्रकार की घटनाएं हमें जागरूक और सतर्क रहने की सीख देती हैं, ताकि हम अपने समाज को सुरक्षित और संरक्षित रख सकें।