भारत के विभिन्न शहरों में जल संकट की स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है। बेंगलुरु और केपटाउन की तुलना में, राजस्थान के कई प्रमुख शहरों में भी आने वाले समय में ऐसी ही स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
केपटाउन जल संकट की स्थिति
दक्षिण अफ्रीका का शहर केपटाउन 2015 से 2018 के बीच गंभीर जल संकट से जूझा था। पानी की कमी का मुख्य कारण जलाशयों में जलस्तर का अत्यधिक कम होना था। औसत से भी कम बारिश होने के कारण सूखा पड़ गया, जिससे जलाशयों का जलस्तर काफी नीचे चला गया। इसके परिणामस्वरूप, शहर की जल आपूर्ति ठप्प हो सकती थी। अधिकारियों ने सख्त वाटर-रेशनिंग उपाय लागू किए, जिससे स्थिति को काबू में लाया जा सका। केपटाउन में ‘डे जीरो’ की आशंका उत्पन्न हो गई थी, लेकिन सितंबर 2018 के बाद हालात बेहतर होने लगे और 2020 तक पानी की आपूर्ति सामान्य हो गई।
बेंगलुरु में जल संकट
भारत के सिलिकॉन वैली के नाम से मशहूर बेंगलुरु में भी पानी की कमी की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गई है। कावेरी बेसिन में कम बारिश के कारण भूजल स्तर निचले स्तर पर पहुंच गया है। बेंगलुरु का केआरएस बांध अपनी क्षमता का 28 प्रतिशत से भी कम भरा है, जिससे जल संकट और बढ़ गया है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के अनुसार, शहर के 13,900 सरकारी बोरवेल में से 6,900 सूख गए हैं। शहर के कई क्षेत्रों में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
राजस्थान में संभावित जल संकट
भूजल विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान के प्रमुख शहर जैसे जयपुर, अजमेर, जोधपुर, और जैसलमेर में 2025 तक पानी की गंभीर कमी हो सकती है। राजस्थान में प्रति वर्ष जितना पानी रिचार्ज होता है उससे 5.49 बिलियन क्यूबिक मीटर ज्यादा पानी इस्तेमाल हो रहा है। केंद्रीय भूजल बोर्ड और राजस्थान के भूजल विभाग की डायनामिक ग्राउंड वाटर रिसोर्स रिपोर्ट के अनुसार, इन शहरों में पानी की उपलब्धता शून्य के करीब है। मौजूदा हालात भी अच्छे नहीं हैं और आने वाले दिनों में जल संकट और गंभीर हो सकता है।
जल संचय और खपत का असंतुलन
2025 तक राजस्थान के इन शहरों में भूजल का गतिशील संसाधन शून्य हो जाएगा। यानी जितना पानी संचय हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा जमीन से निकाल रहे हैं। राजस्थान के 302 ब्लॉक्स में से 219 खतरे के निशान से बहुत ऊपर जा चुके हैं और इन्हें अति दोहन की श्रेणी में रखा गया है। शेष में से 22 को क्रिटिकल और 20 को सेमी क्रिटिकल श्रेणी में रखा गया है। सिर्फ 38 ब्लॉक्स जल उपलब्धता के लिहाज से सुरक्षित बताए गए हैं।
स्थिति क्यों बन रही है?
कम बारिश के अलावा तेजी और अनियोजित शहरीकरण भी जल संकट का प्रमुख कारण है। जैसे-जैसे शहरों का विस्तार होता है, जल आपूर्ति के लिए बुनियादी ढांचे की मांग को व्यवस्थित करना कठिन हो जाता है। इस कारण पानी का रिसाव और अन्य समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
समस्या का समाधान
जल संकट के समाधान के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। जल संरक्षण के उपाय, जलाशयों का पुनरुद्धार, वर्षा जल संचयन, और पानी के कुशल उपयोग को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही, जल प्रबंधन में सुधार और समुदाय की भागीदारी से भी स्थिति को काबू में लाया जा सकता है।
भारत के कई शहरों में जल संकट की गंभीर स्थिति उत्पन्न हो रही है। बेंगलुरु और राजस्थान के प्रमुख शहरों में भी केपटाउन जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है। जल प्रबंधन में सुधार और जल संरक्षण के उपायों को अपनाने से इस संकट का समाधान निकाला जा सकता है। जल की महत्ता को समझते हुए हमें इसके संरक्षण और सतत उपयोग के प्रति गंभीरता दिखानी होगी, तभी हम आने वाली पीढ़ियों को जल संकट से बचा सकेंगे।