बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने छुट्टियों में धार्मिक भेदभाव पर उठने वाले मुद्दे पर बयान दिया है, जहां उन्होंने कहा है कि शिक्षा विभाग के 2024 के कैलेंडर में हुई छुट्टियों की कटौती गलत है और जो परंपरा चली आ रही है, उसके अनुसार ही मानना चाहिए। इसके बाद उन्होंने कहा कि सरकार के संज्ञान में इसका निर्णय अभी नहीं हुआ है, लेकिन पिछली बार भी इस तरह की गलती हुई थी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुधार किया था। उन्होंने सरकार के स्तर पर निर्णय की आवश्यकता को सामने रखते हुए सुधार की आशा की है।
इसके परिणामस्वरूप, बिहार के शिक्षा विभाग ने 2024 के लिए जारी किए गए छुट्टियों के कैलेंडर के खिलाफ विवाद उत्पन्न हो गया है। इसमें से हुई कटौती के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों ने विरोध जताया है और बीजेपी समेत उन्होंने इसे हिंदुओं के अपमान का मामला बताया है। मुद्दे की बढ़ती गंभीरता के चलते नीतीश सरकार दिखती है कि वह इस पर झुक रही है।
मंत्री अशोक चौधरी ने विवाद को बढ़ाते हुए कहा कि नीतीश कुमार के संज्ञान में आते ही इस मामले में सुधार होगा, लेकिन इस समय सरकार के स्तर पर निर्णय नहीं हुआ है। इस बीच, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और बिहार सरकार से 7 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। इसके बाद ना होने पर आयोग ने सरकार को समन भेजने की चेतावनी दी है।
आयोग ने साफ किया है कि धार्मिक आधार पर स्कूली बच्चों की छुट्टियों में भेदभाव क्यों किया जा रहा है, और इसमें सुधार की आवश्यकता है। यहां तक कि आयोग ने समन भेजने की चेतावनी दी है जब तक स्पष्टीकरण नहीं होता। इस मामले में हो रहे संघर्ष के बावजूद, नीतीश सरकार द्वारा इस पर स्थिर निर्णय की आशा है, ताकि विभिन्न समुदायों के बीच सामंजस्य बना रहे और शिक्षा से जुड़े सभी विद्यार्थियों को समान अवसर मिल सकें।