दुबई में चल रही COP28 क्लाइमेट समिट के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के नए राष्ट्रपति मुइज्जू से मुलाकात की है और इस मुलाकात को बहुत अहम माना जा रहा है। इस मीटिंग के बाद, भारत और मालदीव ने अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए एक कोर समूह बनाने पर सहमति जताई है। मोदी ने सोशल मीडिया पर इस मुलाकात के बारे में अपनी खुशी व्यक्त की और बताया कि उन्होंने मुइज्जू के साथ विभिन्न क्षेत्रों में भारत-मालदीव मित्रता को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की है।

मुइज्जू, जो मालदीव के नए राष्ट्रपति हैं, पहले मौजूद राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के करीबी सहयोगी रहे हैं और उन्होंने चीन के साथ करीबी रिश्तों को बनाए रखा है। मुइज्जू ने सितंबर में हुए राष्ट्रपति चुनाव में भारत से दोस्ती के समर्थक इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया था और मोदी ने उन्हें उनकी जीत के बाद बधाई दी थी।
इस मुलाकात का समय बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि मुइज्जू ने हाल ही में भारत से अपने सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का अनुरोध किया है और इस पर चर्चा हुई है। इससे उठने वाले सवाल हैं कि क्या इस मुलाकात के बाद में कुछ बदलाव आएगा और क्या मालदीव अपनी सैन्य की वितरण में कमी करेगा।

मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत का मुख्य समुद्री पड़ोसी है और दोनों देशों के बीच सहयोग को बनाए रखने का खासा दृढ़ इरादा है। इससे पहले भी मोदी ने 2018 में मालदीव का दौरा किया था और वहां कई द्विपक्षीय बैठकें की थीं।
चीन के साथ बढ़ती चिंता के बीच, इस मुलाकात के माध्यम से भारत ने मालदीव के साथ अपनी दोस्ती को बढ़ाने का संकेत दिया है और हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की उपस्थिति को देखते हुए एकजुटता की आवश्यकता को दर्शाया है।

मुलाकात के बाद मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से इसे सार्थक बताया और दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए उत्सुक होने की बात की। उन्होंने लिखा, “राष्ट्रपति मुइज्जू के साथ एक सार्थक बैठक हुई। हमने विभिन्न क्षेत्रों में भारत-मालदीव मित्रता को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। हम अपने लोगों के लाभ के लिए सहयोग को मजबूत करने के लिए एक साथ मिलकर काम करने को उत्सुक हैं।”
इस समय, मालदीव ने भारत से अपनी सैन्य की अधिकतम रक्षा को बढ़ाने का निर्णय लिया है, और इससे आशा है कि यह सहयोग को और भी मजबूत करेगा और दोनों देशों के बीच साझेदारी को बढ़ाएगा। इस मुलाकात के बाद, मुइज्जू की दूरदृष्टि और उनके राष्ट्र के लिए उदार दृष्टिकोण की प्रतीति हो रही है जिससे यह सुनिश्चित हो सकता है कि उनकी नेतृत्व में मालदीव भारत के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्तों को बनाए रखेगा।