चुनाव आचार संहिता एक महत्वपूर्ण नियमों और शर्तों का संग्रह है जो चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाए रखने के लिए बनाया गया है। यह संहिता सभी चुनावों के लिए लागू होती है, चाहे वह लोकसभा, विधानसभा, नगर पालिका या किसी अन्य स्तर का चुनाव क्यों न हो। इसका पालन चुनावी प्रक्रिया के हर चरण में किया जाना चाहिए। चुनाव आचार संहिता के तहत विभिन्न पार्टियों, उम्मीदवारों और चुनावी अधिकारियों को कई नियमों और शर्तों का पालन करना पड़ता है।
चुनाव आचार संहिता के तहत कुछ मुख्य नियमों और शर्तों को निम्नलिखित रूप में समझा जा सकता है:
1. सभा के स्थान और समय का पूर्व सूचना: चुनावी सभाओं के स्थान और समय का पूर्व सूचना पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों को दी जानी चाहिए।
2. लाउडस्पीकर का प्रयोग: लाउडस्पीकर का प्रयोग केवल उस स्थान पर ही होना चाहिए जहां इसकी अनुमति पहले से प्राप्त हो।
3. सभा के आयोजक की सुरक्षा: सभा के आयोजकों को सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस की सहायता की जानी चाहिए।
4. राजनीतिक दलों को समान अवसर: राजनीतिक दलों को सभा के लिए समान अवसर देने का श्रेय चुनाव आचार संहिता को जाता है।
5. सदाचार का पालन: चुनावी प्रक्रिया में सदाचार का पालन करना चाहिए, जैसे कि भ्रष्टाचार, धार्मिक और जातिगत भेदभाव से बचना।
6. जुलूस की व्यवस्था: जुलूस का समय, रास्ता और मार्ग का पूर्व सूचना पुलिस को दी जानी चाहिए। जुलूस में विशेष ध्यान देना चाहिए कि इसमें किसी भी प्रकार की अत्यधिक भीड़ न हो।
7. मतदान के दिन की व्यवस्था: मतदान के दिन कोई भी अत्यधिक भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी मतदाताओं को निष्पक्षता से मतदान करने का अवसर मिलना चाहिए।
चुनाव आचार संहिता के इन नियमों और शर्तों का पालन करने के लिए चुनाव आयोग की ओर से निगरानी और सुरक्षा की जाती है। यह संहिता चुनावी प्रक्रिया को निष्पक्ष और स्वतंत्र बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और चुनाव तंत्र की निष्कर्षता और न्याय को सुनिश्चित करती है।
इस प्रकार, चुनाव आचार संहिता के नियमों और शर्तों का पालन करते हुए एक निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावी प्रक्रिया का आयोजन किया जा सकता है, जिससे लोगों को विश्वास और संविश्वास की भावना मिलती है। इससे लोकतंत्र की स्थिरता और सशक्तिकरण होता है, जिससे समाज के सभी वर्गों की भागीदारी में वृद्धि होती है।