वाराणसी से चुनाव लड़ रहे कॉमेडियन श्याम रंगीला के लिए 10 प्रस्तावकों की नहीं मिलने की खबर ने चुनावी माहौल को गरमा दिया है। श्याम रंगीला ने प्रचार करते हुए यह कहा है कि उन्हें चुनावी आयोग की मदद की आवश्यकता है। इस मामले में उन्हें बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
चुनाव के दौरान, यदि किसी उम्मीदवार को उसके प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ लड़ना होता है, तो उसे नियमों और विधियों का पूरा ध्यान रखना पड़ता है। इसी को ध्यान में रखते हुए, श्याम रंगीला ने भी चुनावी प्रक्रिया में हिस्सा लेने का निर्णय किया और वाराणसी से चुनाव लड़ने का ऐलान किया। लेकिन, उन्हें प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ लड़ने के लिए 10 प्रस्तावकों की आवश्यकता होती है, जो कि एक निर्धारित नियम है। यह नियम चुनावी प्रक्रिया के महत्वपूर्ण हिस्से में शामिल है, और उसकी पालना किया जाना चाहिए।
श्याम रंगीला ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करके अपनी समस्या को साझा किया, जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग से मदद करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान उन्हें बहुत समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं और उन्हें नामांकन फॉर्म प्राप्त करने में भी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
श्याम रंगीला की इस समस्या ने उनके समर्थकों में हलचल मचा दी है। उनके समर्थकों ने भी चुनाव आयोग को उनकी समस्या को तुरंत हल करने की अपील की है। उनके समर्थकों का कहना है कि उन्हें प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ चुनाव लड़ने का मौका मिलना चाहिए, और उन्हें इसमें किसी भी प्रकार की बाधा का सामना नहीं करना चाहिए।
श्याम रंगीला ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर एक और पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने यह बताया कि उनके पास 10 प्रस्तावक हैं, लेकिन चुनाव आयोग उन्हें फॉर्म भरने से पहले ही इनकी जानकारी मांग रहा है। यह उनके अनुसार चुनाव आयोग के नियमों के खिलाफ है और उन्हें इस प्रकार का विचारधारा नहीं मानते हैं।
श्याम रंगीला के इस मामले में चुनाव आयोग की कार्रवाई की जांच होनी चाहिए, ताकि कोई भी पार्टी नियमों का उल्लंघन न कर सके। चुनावी प्रक्रिया को संपादित और निष्पक्ष ढंग से चलाना चाहिए, ताकि लोगों के द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का निर्णय भरोसेमंद हो सके।