नमस्कार, लाइव ब्लॉग में आपका स्वागत है। 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की नौवीं बैठक आयोजित की गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं और नीतियों पर चर्चा करना था। बैठक दिल्ली के राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र में सुबह 9:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक चली।
ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन का भागीदारी

जहां एक ओर कांग्रेस गठबंधन के कई मुख्यमंत्रियों ने इस बैठक का बहिष्कार किया, वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बैठक में शामिल होने का निर्णय लिया। ममता बनर्जी ने इस कदम से कांग्रेस गठबंधन में फूट डाल दी। उन्होंने न केवल खुद बैठक में शामिल होने की पुष्टि की बल्कि हेमंत सोरेन को भी साथ लाने में सफल रहीं।
बैठक का बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्री

कांग्रेस गठबंधन में शामिल कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया, तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस बैठक का बहिष्कार किया। इन मुख्यमंत्रियों का कहना था कि केंद्रीय बजट में राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और नीति आयोग की बैठक में उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता।
बैठक के प्रमुख मुद्दे
बैठक में मुख्य रूप से ‘विकसित भारत@2047’ दस्तावेज पर चर्चा की गई। इस दस्तावेज में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए विभिन्न कदमों और रणनीतियों पर विचार किया गया। इसके अलावा, जीवन की सुगमता, पेयजल की पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता, बिजली की गुणवत्ता और एफिशिएंसी, स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और गुणवत्ता, स्कूली शिक्षा की पहुंच और गुणवत्ता, और भूमि और संपत्ति की पहुंच, रजिस्ट्री, और डिजिटलाइजेशन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
ममता बनर्जी का बयान

ममता बनर्जी ने बैठक में भाग लेने से पहले कहा, “मैं नीति आयोग की मीटिंग में बंगाल की समस्याओं और जरूरतों को रखूंगी। अगर मेरी बात सुनी गई तो ठीक, नहीं तो मैं मीटिंग बीच में ही छोड़कर बाहर निकल जाऊंगी।” उन्होंने यह भी कहा कि नीति आयोग को भंग कर देना चाहिए क्योंकि इसके पास कोई अधिकार नहीं है। ममता बनर्जी का यह बयान दर्शाता है कि वे नीति आयोग की कार्यशैली से असंतुष्ट हैं और योजना आयोग की वापसी की मांग कर रही हैं।
नीति आयोग की बैठक का महत्व
नीति आयोग की यह बैठक भारत के भविष्य के विकास को आकार देने के लिए महत्वपूर्ण थी। इसमें ‘विकसित भारत@2047’ दस्तावेज पर चर्चा की गई, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और विकास की दिशा में कदम उठाने पर जोर दिया गया। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल, पदेन सदस्य, और विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में केंद्रीय मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष और सदस्य शामिल थे।
कांग्रेस गठबंधन की भूमिका
कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्रियों का बहिष्कार इस बात को दर्शाता है कि वे केंद्रीय सरकार की नीतियों से असंतुष्ट हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय बजट में राज्यों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और नीति आयोग की बैठक में उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जाता। यह बहिष्कार कांग्रेस गठबंधन की एकजुटता को भी सवालों के घेरे में लाता है, खासकर ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन के बैठक में शामिल होने के बाद।
नीति आयोग की इस बैठक ने राष्ट्रीय विकास के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन सियासी तनाव और बहिष्कार के कारण इसकी प्रभावशीलता पर सवाल खड़े हो गए। ममता बनर्जी और हेमंत सोरेन का शामिल होना और अन्य कांग्रेस गठबंधन के मुख्यमंत्रियों का बहिष्कार इस बात को दर्शाता है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बीच तालमेल में अभी भी कई बाधाएं हैं। यह बैठक केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि देश के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी थी। अब देखना यह है कि इस बैठक के बाद क्या नतीजे सामने आते हैं और किस तरह से केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर देश के विकास की दिशा में काम करती हैं।