मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद, कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करके चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है, जिससे हंगामा मचा हुआ है। इस घटना में बालाघाट जिले में पोस्टल बैलेट से छेड़छाड़ की गई होने का आरोप है। कांग्रेस ने इस मामले की जांच की मांग की है, हालांकि राज्य के जनसंपर्क विभाग ने इस आरोप को खारिज किया है और बताया है कि सब कुछ निष्पक्ष और नियमों के अनुसार हुआ है।

17 नवंबर को हुए विधानसभा चुनावों के बाद, चरण में पूरे होने के बाद, सभी दल अब 3 दिसंबर को आने वाले चुनाव परिणामों का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच, कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करके दावा किया है कि मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में पोस्टल बैलेट से छेड़छाड़ की गई है। इसके बाद, विधायकों ने इस मामले की जांच की मांग की है।
वीडियो में दिखाई गई घटना के बारे में कांग्रेस ने कहा कि बालाघाट जिले के कलेक्टर ने स्ट्रांग रूम खोलकर अभ्यर्थियों को सूचना दी बिना पोस्टल बैलेट की पेटियां खोल दीं हैं। कांग्रेस ने निर्वाचन अधिकारी की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए, कलेक्टर को निलंबित कर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

हालांकि, राज्य के जनसंपर्क विभाग ने इस घटना के बारे में अलग सच्चाई बताई है। उनके अनुसार, सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले वीडियो में दिखाई गई घटना को विभाग ने सोर्टिंग की प्रक्रिया के दौरान की जाने वाली है, और निर्वाचन आयोग ने मामले को निराधार बताया है।

कांग्रेस ने दावा किया है कि बालाघाट जिले के कलेक्टर ने स्ट्रॉन्ग रूम खुलवाकर बिना अभ्यर्थियों को सूचना दिए पोस्टल बैलेट की पेटियां खोल दी हैं। कांग्रेस ने इस मामले में निर्वाचन अधिकारी की भूमिका को संदिग्ध बताते हुए, कलेक्टर को निलंबित कर निष्पक्ष जांच की मांग की है।
इस घटना के परिणामस्वरूप, जिला निर्वाचन अधिकारी ने नोडल अधिकारी और तहसीलदार हिम्मत सिंह भवेदी को सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि, निर्वाचन अधिकारी बता रहे हैं कि यह घटना सिर्फ सॉर्टिंग की कार्रवाई का हिस्सा था और निष्पक्षता से हुआ।

आपको बता दें कि इस घटना के बारे में जनसंपर्क विभाग ने सूचना दी है कि मतपत्रों की पेटियों को खोलने की खबर गलत है और सभी दलों को सॉर्टिंग की कार्रवाई का समर्थन करने का आदान-प्रदान था। निर्वाचन आयोग ने भी मामले को निराधार बताया है और स्थिति को शांत करने का आदान-प्रदान किया है।
यह मामला नए चुनावी परिणामों की प्रतीक्षा के बीच राजनीतिक हंगामे को और बढ़ा रहा है और इसे निष्पक्षता की दृष्टि से जांचने की मांग की जा रही है।