लोकसभा चुनाव 2024 के बीच, क्षेत्रवाद के मुद्दे पर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो गया है। इस बार विवाद का केंद्र पंजाब है, जहां कांग्रेस उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा ने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के खिलाफ विवादित बयान दिया था। खैरा के बयान के बाद भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। आइए विस्तार से जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर नजर डालते हैं।
क्या है पूरा मामला?
सुखपाल सिंह खैरा ने चुनाव प्रचार के दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों के प्रवासियों को लेकर विवादित बयान दिया था। खैरा ने कहा था कि यह लोग पंजाब पर कब्जा कर पंजाबियत को खत्म कर देंगे। उन्होंने हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर पंजाब में भी एक ऐसा कानून बनाने की बात कही थी जिसके तहत सूबे से बाहर के लोग यहां जमीन न खरीद सकें, मतदाता न बन सकें और सरकारी नौकरियां भी न ले सकें। इस बयान के बाद राजनीतिक माहौल गरमा गया और कई नेताओं ने खैरा की आलोचना की।
मनोज तिवारी का आक्रामक रुख
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने इस पूरे विवाद पर आक्रामक रुख अपनाया है। उन्होंने कहा है कि वह पंजाब जा रहे हैं और देखेंगे कि उन्हें कौन रोकेगा। मनोज तिवारी ने कहा, “मैं पंजाब जा रहा हूं जहां कांग्रेस ने कहा है कि बिहार उत्तर प्रदेश के लोगों को घुसने नहीं देंगे। आज मैं जा रहा हूं देखता हूं कि कौन कांग्रेसी है जो घुसने से रोकता है। जो कांग्रेस बिहार उत्तर प्रदेश के लिए अपने सांसदों से इस तरह के बयान दिलाती है ऐसे कांग्रेस को बिहार में एक वोट नहीं मिलना चाहिए।”
प्रधानमंत्री मोदी का बयान

बिहार में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सुखपाल खैरा के बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “पंजाब में एक कांग्रेस नेता कहते हैं कि बिहार के लोगों का बहिष्कार किया जाना चाहिए।” प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर चुप रहने को लेकर नेहरू-गांधी परिवार की भी आलोचना की, जिसे उन्होंने कांग्रेस का शाही परिवार कहकर संबोधित किया।
क्षेत्रवाद और राजनीति
इस पूरे विवाद ने क्षेत्रवाद और राजनीति के जटिल संबंधों को उजागर किया है। क्षेत्रवाद का मुद्दा भारतीय राजनीति में नया नहीं है, लेकिन हर चुनावी मौसम में यह मुद्दा नए सिरे से उठता है। सुखपाल खैरा के बयान ने इस मुद्दे को फिर से गरमाया है, जिससे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों में नाराजगी है। भाजपा ने इस नाराजगी को भुनाने का प्रयास किया है और अपने नेताओं के माध्यम से कांग्रेस पर तीखा हमला किया है।
खैरा की सफाई

सुखपाल खैरा ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने किसी को बायकॉट करने के लिए कभी नहीं कहा है। उनका कहना था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और उनका उद्देश्य केवल पंजाब के स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा करना था। हालांकि, खैरा की सफाई ने विवाद को थमाया नहीं, बल्कि इसने और भी राजनीतिक बयानबाजियों को जन्म दिया।
राजनीतिक दलों की रणनीतियाँ
इस विवाद ने विभिन्न राजनीतिक दलों की रणनीतियों को भी स्पष्ट किया है। भाजपा इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पर हमलावर है और इसे चुनावी हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। वहीं, कांग्रेस अपने उम्मीदवार के बयान से खुद को दूर करते हुए अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रही है। भाजपा नेता मनोज तिवारी का पंजाब जाने का ऐलान इस बात का संकेत है कि भाजपा इस मुद्दे को और भी बड़ा बनाना चाहती है, ताकि उत्तर प्रदेश और बिहार के मतदाताओं की सहानुभूति हासिल की जा सके।
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर से क्षेत्रवाद के मुद्दे को केंद्र में ला दिया है। सुखपाल खैरा के बयान ने उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों में नाराजगी पैदा की है और भाजपा इस मौके को भुनाने का पूरा प्रयास कर रही है। मनोज तिवारी का आक्रामक रुख और प्रधानमंत्री मोदी का बयान इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा और भी गर्मा सकता है। राजनीतिक दलों को समझना होगा कि क्षेत्रवाद के इस मुद्दे को संभालने के लिए उन्हें संवेदनशील और संतुलित दृष्टिकोण अपनाना होगा, ताकि समाज में एकता और सद्भावना बनी रहे।