दिल्ली के गांवों के ग्रामीणों ने हाल ही में महापंचायत का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने अपनी मांगों को लेकर बड़ा आंदोलन किया। इस महापंचायत का उद्घाटन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के आवास के बाहर किया गया, और इसमें दिल्ली के 360 गांवों के लोग शिरकत कर रहे हैं।
महापंचायत के मुद्दों पर ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार की ओर से अव्यवहारिक नियमों को दिल्ली देहात के ग्रामीणों पर थोपा जा रहा है। इसके अलावा, ग्रामीणों की मांग है कि दिल्ली सरकार ग्रामसभा की जमीन डीडीए को देना बंद करे।पालम 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने सरकार पर आरोप लगाया कि आधुनिकीकरण के नाम पर गांवों को ठगा गया है और उनके साथ विश्वासघात हुआ है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली और उसके आसपास के 200 गांवों में इस मुद्दे पर पंचायतें हुई हैं।
महापंचायत की एक मुख्य मांग यह है कि एमसीडी ग्रामीण इलाक़ों में रिहायशी संपत्तियों को प्रॉपर्टी टैक्स के नोटिस देना बंद करे। इसके साथ ही, ग्रामीणों की मांग है कि लाल डोरे का विस्तार किया जाए, ग्रामीणों को भूमि अधिग्रहण करने के मामले में अल्टरनेटिव प्लॉट जल्द से जल्द दिए जाएं और गांव वालों को पुश्तैनी सम्पति का मालिकाना हक दिया जाए।
इस आंदोलन से प्रेरित ग्रामीण समुदाय ने अपनी मांगों के लिए उठाई आवाज़ और सरकार से न्याय मांगा है। महापंचायत के माध्यम से, वे अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सरकार को उनकी आवाज़ को सुनने की जरूरत है। इस आंदोलन से दिखता है कि दिल्ली के गांवों के ग्रामीण अपने अधिकारों के पक्ष में उत्तरदायी हैं और वे अपने मुद्दों के समाधान के लिए सड़कों पर उतरे हैं।इस महापंचायत के माध्यम से ग्रामीण समुदाय ने अपनी आवाज़ बुलंद की है और सरकार से न्याय की मांग की है, ताकि वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें।