देश की राजधानी दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित ‘आशा किरण शेल्टर होम’ में बीते 20 महीनों में 13 बच्चों की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई है। यह शेल्टर होम मानसिक रूप से दिव्यांगजनों के लिए बनाया गया है। अब तक इन मौतों के कारण के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पाया है। इन रहस्यमयी मौतों पर आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए हैं और शेल्टर होम को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं।
स्वाति मालीवाल का बयान
स्वाति मालीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार यह शेल्टर होम चलाती है जिसमें मानसिक रूप से बीमार महिलाएं और बच्चे रहते हैं। इस शेल्टर होम में पिछले 20 महीनों में 13 मौतें रहस्यमयी कारणों से हुई हैं। उन्होंने बताया कि जब वह दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष थीं, तब भी यहां 2 महीनों में 11 रहस्यमयी मौतें हुई थीं।
शेल्टर होम के हालात
स्वाति मालीवाल ने बताया कि उन्होंने तब शेल्टर होम में जाकर निरीक्षण किया था और बहुत बुरे हालात पाए थे। उन्होंने कहा, “वहां पर महिलाएं रेंग कर बाथरूम जाने पर मजबूर थीं। कई छोटे बच्चों को अपने बिस्तरों में शौच करना पड़ रहा था, और डॉक्टरों की भी कमी थी। हमने कठोर रिपोर्ट बनाकर दिल्ली सरकार को दी। तब भी कुछ जांच हुई थी लेकिन कार्रवाई नहीं हुई थी।”
स्वाति मालीवाल का सख्त रुख
स्वाति मालीवाल ने कहा कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को सदन में उठाएंगी और जवाबदेही तय होनी चाहिए। उनका मानना है कि यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं है, बल्कि मानवाधिकारों का उल्लंघन भी है।
दिल्ली सरकार का बयान
आशा किरण शेल्टर होम में हुई इन मौतों पर दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशि ने कहा कि आशा किरण होम में जुलाई महीने में 14 मौतों की दुखद खबर सामने आई है। इस पर तत्काल संज्ञान लेते हुए उन्होंने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं और 48 घंटे में जांच की रिपोर्ट मांगी है। उन्होंने यह भी कहा कि जो भी अफ़सर ज़िम्मेदार हैं, उन पर सख़्त से सख़्त कार्रवाई होगी और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
आशा किरण शेल्टर होम में हुई 13 रहस्यमयी मौतें न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती हैं, बल्कि मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन का मामला भी बनती हैं। स्वाति मालीवाल द्वारा उठाए गए सवाल और उनके द्वारा की गई जांच की मांग इस मुद्दे को और भी महत्वपूर्ण बना देती है। दिल्ली सरकार ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश देकर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है, लेकिन यह देखना होगा कि इस मामले में कितनी तत्परता से न्याय होता है और दोषियों को सजा मिलती है।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मानसिक रूप से दिव्यांगजनों के लिए बनाए गए शेल्टर होम की स्थिति कितनी दयनीय है और उन्हें किस प्रकार की सुविधाएं और देखभाल मिल रही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस मामले की पूरी तरह से जांच हो और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
मानसिक रूप से दिव्यांगजनों के लिए बनाए गए शेल्टर होम में सुविधाओं की कमी, देखभाल की अनदेखी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण बच्चों की रहस्यमयी मौतें एक गंभीर मुद्दा है, जिसे सरकार और समाज दोनों को मिलकर सुलझाना होगा। इस दिशा में स्वाति मालीवाल का प्रयास सराहनीय है, लेकिन यह भी आवश्यक है कि सरकार तुरंत कार्रवाई करे और दोषियों को सजा दिलाए।