दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक गिरोह का पर्दाफाश किया है जो फर्जी डिग्री, मार्कशीट, और प्रमाण पत्र बेचने में शामिल था। इस गिरोह के मास्टरमाइंड दालचंद मेहरोलिया और महावीर कुमार को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इन आरोपियों ने कोविड महामारी के दौरान इस गोरखधंधे की शुरुआत की थी और तब से 2000 से अधिक जाली डिग्री, मार्क-शीट, और प्रमाण पत्र बाजार में 20,000 से 2.20 लाख के दाम पर बेच चुके हैं।
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गिरोह के आरोपी दालचंद मेहरोलिया को पीतमपुरा के नेताजी सुभाष प्लेस कॉम्प्लेक्स में स्थित एमएच एडुवर्सिटी से गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने मौके से फर्जी डिग्री, मार्कशीट, सर्टिफिकेट, लैपटॉप, प्रिंटर, मोबाइल, फर्जी स्टांप, होलोग्राम, और फर्जी दस्तावेज तैयार करने के लिए खाली कागज बरामद किए हैं।
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गिरोह ने कोविड महामारी के दौरान इस गोरखधंधे की शुरुआत की थी और उन्होंने खुले बाजार में 2000 से अधिक जाली डिग्री, मार्क-शीट और प्रमाण पत्र बेची हैं। यह फर्जी डिग्री लेने वालों ने भारत और विदेशों में नौकरी भी हासिल की हैं।
क्राइम ब्रांच के स्पेशल सीपी रविन्द्र यादव के मुताबिक, इन आरोपियों ने खुलासा किया कि वे विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश के लिए छात्रों से संपर्क कर इच्छुक छात्रों का डाटा दाल चंद मेहरोलिया को देती थीं। उनके बाद दाल चंद वाट्स ऐप के माध्यम से उन छात्रों से संपर्क करता और उन्हें आवश्यक दस्तावेजों के बिना डिग्री देने का लालच देता था।
आरोपी दाल चंद मेहरोलिया ने खुद को संस्थान के प्रमुख के रूप में प्रस्तुत किया और कहा कि उन्होंने साल 2020 से इस संस्थान को चला रहा है। उसने कई लड़कियों को टेली-कॉलर के पद पर नियुक्त किया और उन्हें आवश्यक दस्तावेजों के बिना डिग्री देने का लालच दिया। गिरोह ने कई यूनिवर्सिटी की फर्जी मार्कशीट, सर्टिफिकेट, डिग्री, और साथ में लैपटॉप, मोबाइल, और नकली स्टांप बरामद किए हैं।