दिल्ली में बढ़ती गर्मी और हीट वेव ने जनजीवन को कठिनाई में डाल दिया है। राजधानी के कई इलाकों में पानी की किल्लत ने लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। पानी की कमी इतनी बढ़ गई है कि लोगों के पास पीने के लिए भी पानी नहीं है। यह स्थिति दिल्ली के विभिन्न इलाकों में साफ़ देखी जा सकती है, जहां लोग पानी के टैंकरों के आने का इंतजार करते हैं और लम्बी कतारों में खड़े होते हैं।
सुप्रीम कोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार
दिल्ली सरकार ने इस गंभीर जल संकट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने पड़ोसी राज्यों से पानी देने की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस मामले पर सुनवाई नहीं की है। यह कदम सरकार ने इसलिए उठाया है ताकि दिल्ली के नागरिकों को इस भयंकर गर्मी में पीने के पानी की समस्या से राहत मिल सके।
टैंकर का इंतजार
दिल्ली के कई इलाकों में पिछले कुछ दिनों से पानी की किल्लत हो गई है। रोजमर्रा के काम तो दूर, लोगों के पास पीने तक का पानी नहीं है। ऐसे में कई लोग खाली बाल्टियां लेकर टैंकर का इंतजार कर रहे हैं। कड़ी धूप में भी लोग पानी के लिए लंबी कतारों में लगे रहते हैं। जैसे ही टैंकर आता है, लोगों में पानी लेने के लिए धक्का-मुक्की शुरू हो जाती है। इस स्थिति में किसी को पानी मिल जाता है तो किसी को खाली बाल्टी के साथ ही वापस लौटना पड़ता है।
सरकार से की शिकायत
दिल्ली की गीता कालोनी और चाणक्यपुरी इलाके में टैंकर देखते ही लोग खाली बाल्टियां लेकर दौड़ पड़ते हैं। हालांकि, केवल एक टैंकर से लोगों की प्यास नहीं बुझ पाती है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि एक टैंकर से इतनी बड़ी बस्ती की पानी की आवश्यकता पूरी नहीं हो सकती। उन्होंने सरकार को दो बार पत्र लिखकर पानी की समस्या से अवगत कराया है, लेकिन गरीब लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। हालात इतने खराब हैं कि लोगों को खरीदकर पानी पीना पड़ता है। एक बोतल पानी की कीमत 20 रुपए है और उनकी कमाई इतनी नहीं है कि वे इस पानी से पूरे परिवार का पेट भर सकें।
महाराष्ट्र में भी जल संकट

दिल्ली ही नहीं, महाराष्ट्र के अमरावती में स्थित मरियमपुर गांव में भी पानी का संकट गहरा गया है। यहां पानी भरने के लिए महिलाओं को कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। जमीन में पानी सूख चुका है और काफी मेहनत के बाद ही उन्हें पानी मिल पाता है। यह स्थिति दिखाती है कि देश के कई हिस्सों में जल संकट कितना गंभीर हो चुका है।
जल संकट का समाधान

दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में पानी की कमी से निपटने के लिए सरकार को कई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सबसे पहले, जल संरक्षण और प्रबंधन के प्रभावी उपायों को लागू करना चाहिए। इसके साथ ही, लोगों को जल संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। वर्षा जल संचयन और पुन: उपयोग की तकनीकों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
वैकल्पिक स्रोतों की खोज
वैकल्पिक जल स्रोतों की खोज और उपयोग भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। जैसे कि, नदियों और झीलों से जल आपूर्ति की व्यवस्था को सुधारना और यदि संभव हो तो समुद्र के पानी को साफ करने की तकनीकों का उपयोग करना। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हर नागरिक को पर्याप्त मात्रा में साफ पानी मिल सके।
राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी
राजनीतिक दलों को भी इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए। जल संकट कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि एक मानवीय समस्या है। सभी दलों को मिलकर इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए और जल आपूर्ति के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
जन सहयोग
अंत में, जनसाधारण को भी जल संकट से निपटने में सहयोग करना होगा। हमें पानी का दुरुपयोग रोकना होगा और जल संरक्षण के उपायों को अपनाना होगा। हर छोटी-बड़ी कोशिश इस संकट को कम करने में मददगार हो सकती है।
इस प्रकार, दिल्ली और अन्य राज्यों में जल संकट को दूर करने के लिए सरकार, राजनीतिक दल और जनसाधारण सभी को मिलकर प्रयास करना होगा। तभी हम इस गंभीर समस्या से निजात पा सकते हैं और आने वाले समय में जल संकट की विभीषिका से बच सकते हैं।